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Nagaur patrika…संयम है उत्थान की कुंजी, क्रोध है पतन का कारण…VIDEO

नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में चल रहे प्रवचन में जैन समणी डॉ. सुयशनिधि ने कहा कि जीवन का सबसे बड़ा शत्रु क्रोध है। उन्होंने जैन आगमों में वर्णित चण्डकौशिक नाग का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि वह पूर्व जन्म में एक श्रमण साधु थे, लेकिन मात्र क्रोध के कारण अपने तप और साधना की ऊँचाइयों […]

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नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में चल रहे प्रवचन में जैन समणी डॉ. सुयशनिधि ने कहा कि जीवन का सबसे बड़ा शत्रु क्रोध है। उन्होंने जैन आगमों में वर्णित चण्डकौशिक नाग का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि वह पूर्व जन्म में एक श्रमण साधु थे, लेकिन मात्र क्रोध के कारण अपने तप और साधना की ऊँचाइयों से नीचे गिर गए और नाग योनि में जन्म लिया। जब उन्हें जाति स्मरण ज्ञान से अपने पूर्व जन्म का बोध हुआ, तब यह सत्य स्पष्ट हुआ कि क्रोध क्षणिक आवेग है, किंतु उसका परिणाम जीवनभर प्रभावित करता है। जहां क्रोध पतन का कारण है, वहीं संयम, धैर्य और आत्मचिंतन जीवन के उत्थान की सीढिय़ां हैं। आज के तनावपूर्ण जीवन में यह संदेश और भी प्रासंगिक है कि यदि हम संयम को अपनाएं तो न केवल अपने जीवन में शांति और स्थिरता ला सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मकता फैला सकते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान की प्राप्ति के तीन मुख्य आधार होते हैं। इसमें मनन, अनुसरण और अनुभव है। शास्त्रों और गुरुओं से सुनना ज्ञान का पहला चरण है, लेकिन केवल श्रवण से ज्ञान स्थायी नहीं होता। साधक सुनी हुई बातों पर गहराई से मनन करता है, तो उसकी शंकाएं मिटती हैं, और सत्य स्पष्ट होता है। इसके बाद आवश्यक है अनुसरण, यानी उस ज्ञान को जीवन में उतारना। बिना आचरण के ज्ञान अधूरा है। ज्ञान की चरम अवस्था तब होती है जब वह साधक के जीवन में अनुभव बनकर प्रकट होता है। अनुभव से ज्ञान आत्मा में उतर जाता है, और वह केवल सुनी-सुनाई या समझी हुई बात नहीं रहकर जीवन जीने की दिशा बन जाता है।
तपस्या की अनुमोदना की
सुशील धरम आराधना भवन में जेपीपी जैन महिला फाउंडेशन की ओर से सांझी गीतों का आयोजन हुआ। इसमें समणी सुगमनिधि के वर्षीतप, मोहित नाहटा के 9 उपवास, पूनम नाहर के 9 उपवास, ऋषभ लोढ़ा के 8 उपवास, पांची देवी ललवाणी के 3 उपवास, पिंकी नाहटा के 3 उपवास और अमित नाहटा के 3 उपवास की तपस्या की अनुमोदना की गई। संघ मंत्री हरकचंद ललवाणी ने बताया कि प्रवचन प्रश्नोत्तरी में सही उत्तर देने वाले नरेंद्र चौरडिय़ा और शिल्पा सुराणा को रजत मेडल प्रदान किए गए। बोनस प्रश्नों में सही उत्तर देने वाली रजनी भूरट और सुनीता ललवाणी को धनराज सुराणा परिवार ने सम्मानित किया। प्रवचन की प्रभावना का लाभ सिकंदराबाद निवासी संतोषचंद बैद परिवार ने लिया। इस दौरान किशोरचंद ललवाणी, किशोरचंद पारख, राजेन्द्र नाहटा, अशोक नाहटा, निर्मल ललवाणी, विनोद ललवाणी, विजयसिंह लोढ़ा, दिलीप छोरिया, राजेंद्र नाहटा और नरपतचंद ललवाणी आदि मौजूद थे।