नागौर . 20 वर्ष की आयु में भारतीय नौ सेना में तकनीकी अधिकारी (सब लेफ्टिनेंट) बनी नागौर जिले की रक्षिता राठौड़ ने कहा कि सफलता का कोई शोर्टकट नहीं होता। जीवन में रुचि के विषय पर मेहनत करोगे तो अधिक सफलता मिलेगी। मेरा आर्मी ज्वाइन करना लक्ष्य था और अपनी मेहनत से हासिल कर लिया। आइएनएस वलसुरा नौ सेना एकेडमी जामनगर में हुई पासिंगआउट परेड के बाद नागौर जिले के परबतसर आई रक्षिता से पत्रिका की बातचीत के प्रमुख अंश…।
प्रश्न : आपकी प्रारंभ शिक्षा कहा हुई?
जवाब : प्रारंभ शिक्षा परबतसर की सीमा मेमोरियल विद्यापीठ में की। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मम्मी-पापा ने डाक्टर बनाने के लिए 11वीं में साइंस बायो सब्जेक्ट दिलाया। लेकिन मेरा मन पुलिस या भारतीय सेना में जाने का था। इसलिए विषय बदला और बी-टेक किया। इसके लिए 12 वीं कक्षा में सब्जेक्ट बदला और साइंस मैथ्स ली। बी-टेक 85 फीसदी अंकों के साथ की।
प्रश्न : सलेक्शन में कुल कितनों का बैच था?
जवाब : हमारे प्रथम सलेक्शन के बैच में कुल 27 अभ्यर्थी थे, जिसमें 18 लड़कियां थी। उन 18 लड़कियां में राजस्थान की केवल मैं अकेली थी। यह मेरे लिए भी गौरव की बात रही। यह तकनीकी फील्ड में महिलाओं का पहला बैच था। इसमें प्रदेश से पहली महिला के रूप में शामिल होने का गौरव मिला।
प्रश्न : परिवार ने कितना सपोर्ट किया?
जवाब : परिवार ने पूरा सपोर्ट किया। इसी का परिणाम रहा कि आज नेवी में तकनीकी सब लेफ्टिनेंट बनी। मां पुष्पा रानी तथा पिता राजेंद्र राठौड़ शिक्षक हैं। इससे पहले परिवार से कोई नेवी में नहीं गया। पैतृक गांव खानपुर है, लेकिन पिछले 20-25 वर्षों से परबतसर में रह रहे हैं।
प्रश्न : नौसेना को ही क्यों चुना?
जवाब : जीवन में कुछ हटकर करना था। आर्मी ज्वाइन करने का लक्ष्य था। परिजनों ने कभी दबाव नहीं बनाया। आइटी से राजस्थान से अकेली थी। देश के लिए जिंदगी के कुछ साल दे रहे हैं, इससे बड़ी बात कोई नहीं हो सकती। इसके लिए शुरुआत से ही सोचा हुआ था।
प्रश्न : प्रदेश की बेटियों के लिए कोई संदेश?
जवाब : बेटियों को आगे आना चाहिए। मेहनत हर फील्ड में हैं। रुचि के बाहर मेहनत कई बार सफलता नहीं दिला पाती। ऐसे में जीवन का लक्ष्य बनाए और फिर उसी में मेहनत करें। सफलता से कोई नहीं रोक सकता। लड़कियों को आर्मी का फील्ड चुनना चाहिए। मेरा परिजनों ने हमेशा उत्साह बढ़ाया।