नागौर. जिला मुख्यलाय के जेएलएन अस्पताल में भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी की गई एमसीएच विंग को कंडम घोषित करने के आठ महीने बाद बाद मंगलवार को जयपुर से एनएचएम के तीन अधिकारियों की टीम निरीक्षण करने पहुंची। निरीक्षण करने के बाद टीम प्रभारी अतिरिक्त निदेशक (चिकित्सा प्रशासन) डॉ. सुशील कुमार परमार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि भवन को लेकर वर्ष 2017 से विभिन्न शिकायतों की पत्रावली चली हैं, सभी पत्रावलियों को लेकर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट पेश की जाएगी।
गौरतलब है कि एमसीएच विंग के भवन को सुरक्षा के लिहाज से असुरक्षित घोषित करने के बाद एनएचएम के मिशन निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने दिसम्बर 2023 में खाली करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद एमसीएच विंग को पुराना अस्पताल भवन में स्थानांतरित किया गया। पत्रिका ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया कि मात्र पांच-छह साल में करोड़ों रुपए का भवन घटिया निर्माण के चलते खाली करना पड़ा, ऐसे में भ्रष्टाचारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। सिलसिलेवार समाचार प्रकाशित करने के बाद मंगलवार को जयपुर से चिकित्सा विभाग की 3 सदस्यीय टीम नागौर पहुंची। अतिरिक्त निदेशक डॉ. सुशील कुमार परमार के नेतृत्व वाली टीम में एनएचएम एसई वीके जैन व एनएचएम फाइनेंस डिप्टी डायरेक्टर मनु बंसल शामिल थे। तीनों अधिकारियों ने नागौर सीएमएचओ डॉ. राकेश कुमावत, पीएमओ डॉ. सुनीता आर्य सहित अन्य अधिकारियों के साथ पूरे जर्जर भवन का निरीक्षण किया। टीम ने पूरे जर्जर भवन का निरीक्षण करने के बाद पुराने अस्पताल भवन का जायजा लिया।
कंपाइल फाइल बनाकर उच्चाधिकारियों को देंगे
एमसीएच विंग के जर्जर भवन की जांच के दौरान चिकित्सा विभाग के अधिकारी बार-बार यही कहते रहे कि सचमुच हालात बहुत बुरे हैं, सीमेंट की जगह मिट्टी लगी है, सरिए भी दीवारों और छत से बाहर निकल रहे हैं। लेकिन जब मीडिया ने टीम के प्रभारी अतिरिक्त निदेशक डॉ. सुशील कुमार परमार से बात की तो उन्होंने कहा कि सहजता से देखें तो इसमें टूट-फूट तो है ही। 2017 से इस भवन की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें की जा रही हैं। विभिन्न स्तर पर शिकायतें की गई हैं, मामले को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भी कंप्लेंट हुई है। इसको लेकर विभिन्न स्तर पीडब्लूडी और एनएचएम ने भवन की वर्तमान हालत की जांच भी की है। इन सब चीजों को देखते हुए सभी शिकायतों और विभिन्न जांच दस्तावेजों की कंपाइल फाइल बनाकर उच्चाधिकारियों को पेश करेंगे।
अब नहीं हो धन की बर्बादी
जयपुर से टीम जांच करने आई तो जेएलएन अस्पताल के डॉक्टरों में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी कि कुछ लोग खुद को बचाने के लिए फिर गलत रिपोर्ट दे सकते हैं, लेकिन उच्चाधिकारियों को इस बात का ध्यन रखना चाहिए कि मरम्मत के नाम पर इस भवन पर और धन की बर्बादी नहीं हो।
इन बिन्दुओं पर तैयार हो रिपोर्ट, ताकि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ हो कार्रवाई
– एमसीएच विंग के निर्माण के लिए बजट की स्वीकृत राशि एवं वित्तीय वर्ष की जानकारी।
– निर्माण कार्य किस एजेंसी की ओर से कराया गया एवं निर्माण की गुणवत्ता सुनिश्चित हो, इसकी मॉनिटरिंग करने का क्या प्रावधान है?
– भवन का निर्माण किस अधिकारी के सुपरविजन में किया गया?
– निर्माण करने वाली एजेंसी का नाम एवं उसको किए गए भुगतान की राशि।
– निर्माण में अनियमितता पाई गई, इस सम्बन्ध में निर्माण करने वाली एजेंसी के विरूद्ध की गई कार्यवाई।
– निर्माण/हैण्डओवर के पश्चात यदि कोई बजट प्रावधान रखा गया है, तो उसकी सूचना।
पत्रिका व्यू… भ्रष्टाचारियों को सिखाना होका सबक
जेएलएन अस्पताल में करीब 15 करोड़ की लगात से बनाए गए एमसीएच विंग के भवन को घटिया निर्माण के चलते सुरक्षा के लिहाज से असुरक्षित मानते हुए छह साल में ही खाली करना पड़ा। जोधपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के विशेषज्ञों ने 5.31 लाख की मोटी फीस लेकर पूरी जांच के बाद यह रिपोर्ट दी है कि भवन किसी भी दृष्टि से न तो मरम्मत योग्य है और न ही सुरक्षित। इसकी मरम्मत में जितना धन खर्च किया जाएगा, उससे ऐसी नई बिल्डिंग तैयार हो जाएगी। यानी भवन किसी भी दृष्टि से सुरक्षित नहीं है। ऐसे में अब निरीक्षण के नाम पर टाइमपास करके भ्रष्टाचारियों को मोहलत देने का कोई औचित्य नहीं है। उच्चाधिकारियों को भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए भवन निर्माण की पूरी वसूली करनी चाहिए, ताकि जनता में एक संदेश जाए।