नागौर. जिला मुख्यालय का व्यस्ततम गांधी चौक, समय दोपहर 3.33 बजे का, संघ की ओर से निकाले गए पथ संचलन की शक्ति व भक्ति धारा वाहिनियों के संगम का अद्भुत दृश्य और घोष वादन की स्वर लहरियों के साथ सधे कदमों से समान गणवेश में स्वयंसेवक आगे बढ़े तो हर किसी की नजरें ठहर गईं। सैकड़ों शहरवासियों की मौजूदगी के बीच विभिन्न संगठनों की ओर से जब पुष्प वर्षा की गई तो स्वयंसेवकों का उत्साह भी बढ़ गया। वहीं इस नजारे को देखकर देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए और भारत माता के जयकारे गूंजने लगे।
शहर में रविवार को स्वामी विवेकानंद जयंती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से निकाले गए पथ संचलन ने एक नया इतिहास लिख दिया। कांकरिया स्कूल मैदान से रवाना होकर दो धाराओं में निकाले गए पथ संचलन का गांधी चौक पर मिलन का दृश्य देखने लायक था। इस दौरान गांधी चौक में बड़ी संख्या में उपस्थित शहरवासियों ने राष्ट्रभक्ति से ओत प्रोत उद्घोष लगाकर स्वयंसेवकों का उत्साहवद्र्धन किया तथा संघ के गुरु प्रतीक भगवान ध्वज पर पुष्प वर्षा करके वंदन व सम्मान किया। दोनों वाहिनियां दिल्ली दरवाजा, विजय वल्लभ चौराहा होते हुए सैनिक क्षत्रिय माली समाज भवन हनुमान बाग पहुंची, जहां पथ संचलन का समापन हुआ। पथ संचलन से पूर्व स्वयंसेवकों ने सामूहिक रूप से शारीरिक प्रदर्शन किया। इसमें योग, नियुद्ध, दंड योग व आसन आदि का प्रदर्शन किया गया। स्वयंसेवकों ने समवेत स्वर में सामूहिक गीत ‘संघ किरण घर-घर देने को, अगणित नंदा दीप जले। मौन तपस्वी साधक बनकर, हिमगिरि सा चुपचाप गले’ गीत गाया गया।
विवेकानंद जयंती स्व को जागृत करने का दिवस
पथ संचलन से पूर्व कांकरिया विद्यालय मैदान में आयोजित शारीरिक प्रदर्शन व बौद्धिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेसला पीठ फलोदी के आचार्य स्वामी रामाचार्य ने कहा कि विवेकानंद जयंती का यह अवसर प्रेरणा का दिन है। युवा इस दिन अपने स्व को जगाने का प्रयास करते हैं, आज के समय में हम अमेरिका और आसपास के देशों की जानकारी तो गूगल आदि किसी न किसी माध्यम से कर लेते हैं, लेकिन हम अपने स्व को विस्मृत कर रहे हैं। हम कौन थे, क्या हो गए, इस पर चिंतन करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हम भारत मां का श्रद्धा में सम्मान के साथ जयकारा लगाते हैं, भारत एक जमीन का साधारण टुकड़ा नहीं है, अपने अतीत में भारत ने अपने संस्कृति ज्ञान व आध्यात्मिकता के बल पर पूरे विश्व का नेतृत्व किया और बहुत कुछ इस विश्व को दिया।
भारत को विश्व गुरु बनाने में आध्यात्मिक शक्ति महत्वपूर्ण
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त भारतीय वायु सेवा के सेवानिवृत्त एयर मार्शल जगदीश चंद्र ने कहा कि शक्ति व भक्ति की धारा अलग-अलग नहीं है। दोनों में समन्वय है। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए यह समन्वय बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रत्येक बटालियन के अपने आराध्य देव व प्रेरक उद्घोष हैं, जो बटालियन में शक्ति व विश्वास का संचार करते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारत के इतिहास को गौरवमय बताया और भविष्य भी श्रेष्ठ होगा, ऐसी कामना की है। आज भारत के अतीत व भविष्य को जोडऩे का कार्य करने वाले युवा ही हैं।
भारत में आजकल सांस्कृतिक माक्र्सवाद चल रहा
भारतीय वायु सेवा के सेवानिवृत्त एयर मार्शल जगदीश चंद्र के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम में स्वयंसेवकों व नागरिकों को संघ के राजस्थान क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री का मुख्य वक्ता के रूप में बौद्धिक पाथेय प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि आज हर दिशा से जल, जमीन, खेत, कन्या, नारी की अस्मिता, संस्कृति, सभ्यता, पर्यावरण को बचाओ, ऐसी आवाज आ रही है। शक्ति से संपन्न विचार ही इसे बचा सकता है। हमारी संस्कृति कहती है धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भाव हो, ईश्वर सृष्टि के कण कण में, आत्मा में परमात्मा, सर्वे भवंतु सुखिन, आत्मवत सर्वभूतेषु, लेकिन इस विचार के सामने अनेक बाधाएं हैं। जिसके कारण पूरे विश्व के अस्तित्व पर संकट है।
पथ संचलन का जगह-जगह हुआ स्वागत
कांकरिया स्कूल से रवाना हुए दोनों संचलनों का विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं, सामाजिक तथा व्यापारिक संगठनों की ओर से जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। विभिन्न संगठनों ने स्वागत द्वार व बैनर लगाकर स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन किया। साथ ही गणमान्य नागरिक, मातृशक्ति व मोहल्ले की स्वागत समितियों ने संघ के गुरु प्रतीक भगवान ध्वज पर पुष्प वर्षा करके श्रद्धा वंदन व सम्मान किया गया। दोनों ही वाहिनियों में संघ के न्यूनतम तीन-तीन घोष की स्वर लहरियों के माध्यम से राष्ट्रभक्ति भावों का संचार किया गया।
इनका रहा सहयोग
संघ के नगर संघ चालक मांगीलाल बंसल ने पथ संचलन के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, सभी सामाजिक संगठन, व्यापारिक प्रतिष्ठान, सामाजिक संस्थाओं, नगर परिषद व नागरिकों का आभार जताया।