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वीडियो : अधूरी तैयारी से जेसीबी लेकर अतिक्रमण ढहाने पहुंची नपा की टीम को वकील ने बेरंग लौटाया

मामला कृष्णा जीनिंग परिसर की सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण का

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नागदा. कृष्णा जीनिंग परिसर की विवादित बेशकीमती सरकारी जमीन पर दो दिन से चल रहे अवैध भवन निर्माण को ढहाने पहुंचे प्रशासन के संयुक्त जांच दल को बैरंग लौटना पड़ा। सोमवार शाम मौके पर दल बल के साथ पहुंचे एसडीएम, तहसीलदार और नपा सीएमओ को विवादित जमीन के कथित मालिक की ओर से मौके पर उपस्थित एडवोकेट विनोद रघुवंशी ने कानून का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि बगैर नोटिस के किसी भी तरह की कार्रवाई अवैधानिक होगी। मामले में संबंधित को जवाब देने का पर्याप्त समय दिए बगैर एकतरफा कार्रवाई नहीं की जा सकती। एडवोकेट रघुवंशी की प्रशासनिक अमले के साथ जमकर बहस भी हुई।
तहसीलदार प्रियंका जैन, नपा सीएमओ सीएस जाट व इंजीनियर नीलेश पंचोली ने एसडीएम एसएन सोनी के मौखिक आदेश पर अतिक्रमण तोडऩे के लिए दल का पहुंचना बताया। इस पर एडवोकेट रघुवंशी ने स्पष्ट कहा कि उन्हें मौखिक नहीं लिखित आदेश दे, अथवा जिम्मेदार अधिकारी यह लिखकर दें कि अतिक्रमण तोडऩे की कार्रवाई उनके आदेश पर की जा रही है। तब ही वे कार्रवाई को आगे बढऩे देंगे। इस पर सभी अधिकारी पीछे हट गए। इसके बाद सीएमओ ने मामले में जारी नोटिस का जवाब देने क लिए मंगलवार शाम 5 बजे तक का समय दिया है। निर्धारित अवधि में भवन निर्माण करने वाले ओझा परिवार को जमीन पर मालिकाना हक के दस्तावेज व भवन निर्माण अनुमति भी प्रस्तुत करना होगी।
स्थगन अवधि में निर्माण किसके आदेश पर
गौरतलब है कि कृष्णा जीनिंग परिसर की 17 बीघा जमीन पर जीनिंग फैक्ट्री की बेशकीमती जमीन फिलहाल विवादित है। इस पर ओझा परिवार अपना हक बताता है, जबकि शासन जमीन के सरकारी होने का दावा करता हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में 18 मार्च 2013 को राजस्व मंडल ग्वालियर ने जमीन पर ओमप्रकाश पिता राधाकिशन ओझा के पक्ष में फैसला देकर जमीन पर इस परिवार का निजी हक बताया था। फैसले के विरोध में नपा परिषद नागदा ने भी 11 अक्टूबर 2013 को हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने अपर कलेक्टर न्यायालय को इस पर सुनवाई करने के निर्देश दिए थे। मामले में इसके बाद दोनों पक्षों को अपर कलेक्टर न्यायालय ने 30 अप्रेल 2014 को नोटिस जारी किए थे। ओझा परिवार की ओर से मामले में पक्ष नहीं रखने पर अपर कलेक्टर न्यायालय ने 27 मई 2014 को एकपक्षीय फैसला देते हुए जमीन को सरकारी घोषित किया था। इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने जीनिंग परिसर की 17 बीघा जमीन का सीमांकन कराकर कब्जा लिया था। बाद में ओझा परिवार ने मामले में फिर न्यायालय में अपील की थी। इस पर स्थानीय न्यायालय ने ओझा परिवार के हक में स्टे दिया था। स्टे अवधि में ओझा परिवार ने यहां पक्का निर्माण किसके आदेश पर शुरू किया यह तो मंगलवार शाम ही सामने आएगा।
अवैध निर्माण में तेजी आना कई सवालों को जन्म दे रहा
मामले में शहर कांग्रेस अध्यक्ष राधे जायसवाल ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि जीनिंग परिसर की जमीन पर अवैध निर्माण करने का सिलसिला हाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावशील होने के बाद शुरू हुआ। जबकि इससे पहले विधायक दिलीपसिंह गुर्जर और दिलीप सिंह शेखावत के कार्यकाल में वर्षोंं तक इस जमीन पर अवैध कब्जा नहीं हो पाया। विधायक डॉ.चौहान के निर्वाचित होने के बाद से एकाएक जीनिंग परिसर की जमीन पर अवैध निर्माण में तेजी आना कई सवालों को जन्म दे रहा है।