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डॉग लवर्स और एनजीओ को झटका, सुप्रीम कोर्ट जारी किया ये फरमान

कोर्ट ने बीमार और आक्रामक कुतों को छोड़कर बाकि सभी कुत्तों की नसबंदी कर शेल्टर होम से छोड़ने का आदेश दिया है। इसके साथ उन सभी डॉग लवर्स और एनजीओ को कोर्ट से झटका लगा है, जो लोग आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से हटाने का विरोध कर रहे थे।

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दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने बीमार और आक्रामक कुतों को छोड़कर बाकि सभी कुत्तों की नसबंदी कर शेल्टर होम से छोड़ने का आदेश दिया है। इसके साथ उन सभी डॉग लवर्स और एनजीओ को कोर्ट से झटका लगा है, जो लोग आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से हटाने का विरोध कर रहे थे। कोर्ट ने कहा है कि वे सभी सुनवाई में शामिल होने के लिए कुछ निश्चित राशि जमा करें। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की विशेष बेंच ने आदेश दिया कि जो व्यक्तिगत डॉग लवर्स कोर्ट में आए हैं, उन्हें 25,000 रुपये जमा करने होंगे। वहीं, जो एनजीओ शामिल हैं, उन्हें 2 लाख रुपये जमा करने होंगे। यह रकम कोर्ट की रजिस्ट्री में सात दिनों के अंदर जमा करनी होगी। अगर तय समय में ये राशि जमा नहीं होती, तो उन्हें इस मामले में आगे सुनवाई का हिस्सा नहीं बनने दिया जाएगा। कोर्ट ने ये भी साफ किया कि ये पैसे नगर निगमों के तहत आवारा कुत्तों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं विकसित करने में इस्तेमाल किए जाएंगे।

इससे पहले, 28 जुलाई को एक खबर के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को खुद मामले का संज्ञान लेते हुए सुओ मोटो कार्रवाई की थी। उस खबर में दिल्ली और आसपास के इलाकों में बच्चों को आवारा कुत्तों के काटने और रेबीज के मामलों को लेकर चिंता जताई गई थी जिसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने आदेश दिया था कि आवारा कुत्तों को पकड़ कर शेल्टर होम में डाला जाए और पकड़े गए कुत्तों को फिर से सड़कों पर ना छोड़ा जाए। लेकिन देश भर में इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगे जिसके बाद अब तीन जजों की बेंच ने उस आदेश में कुछ बदलाव किए हैं।

नए आदेश के मुताबिक, कुत्तों को पकड़ने के बाद उनकी नसबंदी और टीकाकरण किया जाएगा। उसके बाद उन्हें उसी इलाके में वापस छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। हालांकि, कोर्ट ने ये भी कहा है कि दिल्ली, गाज़ियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम जैसे इलाकों में म्युनिसिपल अथॉरिटी द्वारा कुत्तों को पकड़ने की प्रक्रिया जारी रहेगी। पहले दिए गए आदेश में जो कहा गया था कि पकड़े गए कुत्तों को शेल्टर से नहीं छोड़ा जाएगा, वह आदेश फिलहाल अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है।

कोर्ट ने एक व्यवस्था बनाने पर भी जोर दिया है, कोर्ट ने कहा कि जो लोग वास्तव में कुत्तों से प्रेम करते हैं, वे उन्हें गोद ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें संबंधित नगर निगम में आवेदन देना होगा। गोद लिए गए कुत्ते को टैग किया जाएगा, उसकी पूरी ज़िम्मेदारी उस व्यक्ति की होगी जिसने उसे गोद लिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि गोद लिए गए कुत्ते को दोबारा सड़क पर नहीं छोड़ा जा सकता। अब, सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश से साफ हो गया है कि आम लोगों की सुरक्षा और जानवरों के प्रति संवेदनशीलता में संतुलन बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।