Diksha Festival in rani… पाली जिले के रानी स्टेशन कस्बे में जिनशासन का जयकारा गूंजा। जैन संतों व साध्वियों की निश्रा में मूल रूप से किशनगढ़ व चेन्नई निवासी संतोक सोनी ने संयम पथ अंगीकार किया। उनका नया नाम मुनि परमानंद रखा गया। वे गच्छाधिपति विजय नित्यानंद सूरिश्वर के शिष्य होंगे।
शांतिनाथ सुपार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ की ओर से आयोजित दीक्षा महोत्सव में दीक्षाथीZ संतोक सोनी ने सुबह सिमंदर स्वामी जैन मंदिर में स्नात्र पूजन किया। अष्टप्रकारी पूजन कर प्रभु को नमन किया। इसके बाद मुमुक्षु के समक्ष विभिन्न प्रकार के व्यंजनों व भौतिक सुख-सुविधाओं की वस्तुओं के वीर थाल सजाकर उनको सभी वस्तुएं ग्रहण करने का आग्रह किया गया तो वे सभी को ठुकराकर संयम पथ अपनाने के लिए अणसीआई साकलचंद मेहता के घर से बाहर निकले।
वस्तुओं का दान करते पहुंचे दीक्षा मण्डप
वीरथाल के बाद मुमुक्षु रथ में सवार होकर व श्रावक-श्राविकाएं नाचते-गाते हिंगड़ मोहल्ला िस्थत बासा जैन न्याति नोहरा पहुंचे। मार्ग में मुमुक्षु सांसारिक वस्तुओं का दान करते चले। न्याति नोहरा में मुमुक्षु ने आचार्य विजय जयानंद सूरिश्वर, गणिवर्य जयकीर्ति विजय, मुनि दिव्यांश विजय, मुनि चारित्र वल्लभ, मुनि चैत्य वल्लभ, साध्वी संयम शीला, साध्वी मौनशीला व साध्वी जिननांशीला को वंदन किया। आचार्य के देशना देने के बाद मुमुक्षु ने संतों व साध्वियों को चावल से बधाकर काम्बली ओढ़ाई।
धर्म के माता-पिता को किया नमन
मुमुक्षु संतोक सोनी ने धर्म के माता-पिता उम्मेदमल चौरडि़या व सुमित्रा देवी चौरडि़या के चरणों का पक्षालयन किया। धर्म के माता-पिता व संघ के एनसी मेहता, अशोक तापडि़या, चंदू, मुमुक्षु के पुत्र जयेश, नेहा, पुत्री प्रीति, संध्या, चन्द्रकला ने आचार्य को रजोहरण प्रदान किया। जिसे आचार्य ने मुमुक्षु को दिया तो वह झूम उठा। वेश परिवर्तन करने के बाद केश लोचन कर मुमुक्षु को नया नाम दिया गया।