
पाली शहर में बांडी नदी का निरीक्षण करते अधिकारी (फोटो- पत्रिका)
पाली/बालोतरा: जोजरी, बांडी और लूणी नदियों में बढ़ते औद्योगिक प्रदूषण की जांच और नदियों के पुनरुद्धार के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित उच्च स्तरीय इकोसिस्टम ओवरसाइट कमेटी ने शनिवार को नेहड़ा बांध का अवलोकन किया। यहां उपस्थित किसानों ने समिति को बताया कि फैक्ट्रियों से निकलने वाला रासायनिक और रंगीन पानी बांडी नदी में छोड़े जाने से नेहड़ा बांध पूरी तरह दूषित हो चुका है। इसका सीधा असर रोहट क्षेत्र के 60-70 गांवों की खेती, पशुधन और मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
किसानों का कहना है कि दूषित पानी से सिंचाई करने पर फसलें नष्ट हो रही हैं। पशु बांझ हो रहे हैं और ग्रामीण हार्ट, किडनी व कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। यह समस्या करीब 40 वर्षों से बनी हुई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
कमेटी के अध्यक्ष सेवानिवृत्त जस्टिस संगीत लोढ़ा को किसानों ने बताया कि फैक्ट्रियों का अनट्रीटेड पानी चोरी-छिपे नालों और टैंकरों के माध्यम से बांडी नदी में छोड़ा जा रहा है। हाल ही में मंडिया रोड क्षेत्र में अवैध पाइपलाइन पकड़ी गई, लेकिन जिम्मेदारों पर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।
किसानों ने सिंचाई विभाग की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। किसानों का यह भी आरोप है कि गुजरात से भी रासायनिक पानी के टैंकर बांडी नदी में खाली किए जाते हैं।
निरीक्षण के दौरान कमेटी ने नेहड़ा बांध और बांडी नदी से पानी के सैंपल लिए, विभिन्न स्थलों का जायजा लिया और हर जगह रंगीन पानी बहता पाया। जस्टिस लोढ़ा समिति ने बालोतरा, समदड़ी, अजीत, रामपुरा, भानावास, गोदों का वाड़ा, पाली के नेहड़ा बांध, मंडिया पुलिया सहित विभिन्न स्थानों पर लूणी नदी में बह रहे रासायनिक पानी को देखा और इससे हो रहे नुकसान की जानकारी ली।
जस्टिस लोढ़ा ने हालात पर गंभीर नाराजगी जताई और तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करने का भरोसा दिलाया। अवलोकन के बाद समिति सदस्य शनिवार शाम को जोधपुर रवाना हो गए।
जानकारी के अनुसार, पाली के पास बना नेहड़ा बांध मूल रूप से बरसाती पानी के संग्रह और खेती के लिए जल उपलब्ध कराने की योजना के तहत बनाया गया था। लेकिन आज वह रासायनिक पानी का यार्ड बन गया है। दूसरी ओर जोधपुर की औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषित पानी कल्याणपुर तक पहुंच चुका है, जबकि बालोतरा क्षेत्र का प्रदूषित पानी लूणी नदी के रास्ते गुड़ामालानी तक फैल चुका है। इससे खेती के साथ-साथ पशु, पक्षी और वन्यजीव भी प्रभावित होकर काल का ग्रास बन रहे हैं।
सिवाना विधायक हमीर सिंह भायल ने समिति को बताया कि वर्ष 2013 से अब तक लूणी नदी में रासायनिक पानी का बहाव लगातार जारी है। इसे रोकने के लिए समय-समय पर प्रयास किए गए तथा राज्य सरकार ने कई समितियां गठित कर अवलोकन भी किया, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया। उन्होंने कहा कि जो नदी किसानों के लिए वरदान और मानव जीवन के लिए जीवनदायिनी थी, वही आज रासायनिक प्रदूषण के कारण अभिशाप बन चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने जोजरी नदी में प्रदूषण को लेकर राज्य सरकार पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा था कि उद्योगों से फैल रहे प्रदूषण पर नियंत्रण करने में राज्य सरकार विफल रही, जिसके कारण जोजरी, बांडी और लूणी नदी में प्रदूषण के कारण जोधपुर, पाली और बालोतरा में लगभग 20 लाख लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि अब कागज पर नहीं, जमीन पर कार्रवाई दिखनी चाहिए।
Published on:
28 Dec 2025 11:42 am
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