सीधी। लंबे समय से नर घडिय़ाल विहीन पड़े सोन घडिय़ाल अभयारण्य में आखिरकार नई उम्मीद जग चुकी है। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य मुरैना से लाए गए 25 नर जूबेनाइल घडिय़ालों को सोन नदी के ’जोगदह’ और ’टेढ़ीदह’ में सुरक्षित रूप से छोड़ा गया है। करीब 2 वर्ष आयु और लगभग 5 फीट लंबाई वाले ये नर घडिय़ाल अभी बच्चे हैं, लेकिन वयस्क होने के बाद ये अभयारण्य में प्रजनन संतुलन को पुन: स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
अभयारण्य प्रबंधन के अनुसार 12 घडिय़ाल रामपुर नैकिन परिक्षेत्र के टेढ़ीदह में जबकि13 घडिय़ाल सीधी परिक्षेत्र के जोगदह में छोड़े गए। यह महत्वपूर्ण कार्य 12 नवंबर को अधीक्षक सोन घडिय़ाल अभयारण्य की 8 सदस्यीय टीम द्वारा चंबल अभयारण्य पहुंचकर किया गया। टीम ने 13 नवंबर की शाम को लौटकर सोन नदी में रिलीज प्रक्रिया संपन्न की।
भिंड के अंबा से लाए गए कछुए-
घडिय़ालों को मुरैना जिले के देवरी केंद से लाया गया, जबकि 25 वाटागर प्रजाति के कछुए भी चंबल अभयारण्य भिंड के अंबा रेंज से लाकर सोन नदी के जोगदह में छोड़े गए हैं। इससे नदी के जलीय जैव-तंत्र को भी मजबूती मिलेगी।
गत वर्ष लाए गए नर घडिय़ाल की मौत-
पिछले वर्ष जनवरी में लाया नर घडिय़ाल इस वर्ष 7 जुलाई को सोन नदी में आए पानी के तेज बहाव में बहकर उत्तर प्रदेश के चोपन पहुंच गया था। इस घडिय़ाल को सोन घडिय़ाल अभयारण्य की टीम वापस ले आई थी, लेकिन जब उसे सोन नदी के जोगदह घाट में रिलीज करने के लिए खोला गया तो वह मृत अवस्था मिला था, जिससे घडिय़ाल अभयारण्य एक बार फिर नर विहीन हो गया था।
वर्जन-
राष्ट्रय चंबल अभयारण्य से 25 नर घडिय़ाल व 25 वाटागुर कछुए लाए गए थे, जिन्हे सुरक्षित सोन नदी में रिलीज कर दिया गया है। घडिय़ाल अभी बच्चे हैं, वयस्क होने के बाद इन नर घडिय़ालों मेें प्रजनन क्षमता विकसित होगी।
मनीराम धुर्वे, रेंजर सोन घडिय़ाल अभयारण्य सीधी