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सिंगरौली

मोरवा के विस्थापितों को नहीं मालूम, कहां होगा उनका अगला ठिकाना

मोरवा में तनाव भरा माहौल, विरोध में उतर आए हैं विस्थापन से प्रभवित लोग

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मोरवा में तनाव भरा माहौल, विरोध में उतर आए हैं विस्थापन से प्रभवित लोग

सिंगरौली.एनसीएल के जयंत व दुद्धिचुआ खदान के विस्तार की योजना में मोरवा शहर को विस्थापित करने की शुरू प्रक्रिया तनाव का वजह बन गई है। विस्थापन से प्रभावित रहवासियों की प्रश्नों का जवाब नहीं मिलना मुख्य वजह है। सवालों के जवाब को लेकर अब चल रहा बातचीत का दौर विवाद में बदलता नजर आ रहा है। हैरत की बात ये है कि इसको लेकर न ही एनसीएल प्रबंधन गंभीर है और न ही जिला प्रशासन।

विस्थापन की प्रक्रिया के तहत एनसीएल की ओर से टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुबई की टीम को भूमि व संपत्तियों के भौतिक सत्यापन का जिम्मा दिया गया है। एनसीएल से पूर्व में पूछे गए सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने से रहवासियों में रोष है और उनकी ओर से टीम को भौतिक सत्यापन करने से रोका जा रहा है। पिछले तीन दिनों से सत्यापन के लिए पहुंच गई टीम व रहवासियों के बीच विवाद की स्थिति बन रही है। विस्थापितों में दो गुट होने के बीच शहर में तनाव की स्थिति बन गई है।

ये सवाल, नहीं मिला स्पष्ट जवाब

– एनसीएल जमीन को किस दर से लेगा। स्पष्ट राशि प्रति वर्ग मीटर में बताया जाए। साथ ही भूमि व भवन पर 12 प्रतिशत मूल्य वृद्धि दिया जाएगा या नहीं, स्पष्ट किया जाए।

– संपत्ति के मूल्यांकन की पद्धति क्या होगी? गणना पत्रक की स्पष्ट विवेचना मंच के द्वारा दिए गए गणना पत्रक के आधार पर दिया जा रहा है या नहीं स्पष्ट किया जाए।

– पुनर्स्थापना स्थल कहां होगा? विस्थापितों के पास कितने और कौन-कौन से विकल्प होंगे, स्पष्ट किया जाए।

– पुनर्स्थापना स्थल पर भूखंड नहीं लेने की स्थिति में विस्थापितों को 1.37 लाख रुपए के बजाए मांग के अनुरूप 25 लाख दिया जाएगा या नहीं, स्पष्ट करें।

– विस्थापन प्रभावित किसे माना जाएगा? स्पष्ट शब्दों में विवेचना को सार्वजनिक किया जाए। भू-धारकों पर तीन वर्ष की स्वामित्व की अनिवार्यता को हटाया गया है या नहीं?

एनसीएल के घेराव की तैयारी

सवालों का बिना स्पष्ट जवाब दिए भूमि व संपत्ति के भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया शुरू करने से रहवासियों में रोष व्याप्त है। सिंगरौलीपुनस्र्थापना मंच ने लोगों के आक्रोश व आग्रह पर एनसीएल मुख्यालय का घेराव करने का निर्णय लिया है। मंच के पदाधिकारियों का कहना है कि एनसीएल प्रबंधन जानबूझ कर मामले को गंभीर बना रहा है। सवालों के स्पष्ट जवाब मिले तो वे या तो संतुष्ट होंगे या फिर मंत्रालय व सरकार स्तर पर अपनी बात रखेंगे।

वर्जन –

एनसीएल की ओर से विस्थापन से प्रभावित लोगों को बिना संतुष्ट किए जबरन विस्थापन की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। सवाल कुछ लोगों का नहीं बल्कि एक बड़े तबके का है। एनसीएल का गोलमोल जवाब रहवासियों के आक्रोश का कारण बन रहा है। सत्यापन करने वाली टीम से हर रोज नोकझोक की स्थिति बन रही है। ये ठीक नहीं है।

सतीश उप्पल, अध्यक्ष एसपीएम

वर्जन –

एनसीएल विस्थापन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाकर समस्या का समाधान कर सकती है, लेकिन न जाने क्यों जानबूझ कर तय मानकों को पर्दा में रखा गया है। आखिर रहवासियों को ये जानने का हक है कि उन्हें कहां बसाया जाएगा। उनकी संपत्ति की कीमत क्या निर्धारित की गई है। वर्तमान में मोरवा में तनाव की जो स्थिति है। वह गंभीर हो सकती है।

सुरेश गिरि, सदस्य एसपीएम।