श्रीगंगानगर। रिजर्व बैंक ने दो हजार रुपए के नोट का चलन बंद कर वर्ष 2016 की नोटबंदी की तर्ज पर नोट बदलने की सीमा बीस हजार रुपए तक तय की है। यानी एक बार में बीस हजार रुपए के नोट ही बदले जाएंगे। हालांकि जिला अन्तरराष्ट्रीय सीमा से सटा हुआ है, इस कारण बैंको में दो हजार रुपए के नोटों की आवक पहले कम थी। लेकिन इलाके में दो हजार रुपए के नोटों के चलन बंद होने का असर बड़े व्यापारियों खासतौर पर रियल इस्टेट पर असर पड़ सकता है। मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से निवेश होने की गहमागहमी बढ़ी है। वहीं नोटबंदी के बाद आर्थिक मंदी की आंशका से व्यापारिक संगठन चिंतित नजर आ रहे है। इधर, बैँक अधिकारियों का कहना है कि सोमवार से दो हजार रुपए के नोट बदलने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके लिए एक फार्म भी भरना होगा। दो हजार रुपए के नोट बंद होने के संबंध में इलाके के चुनिंदा लोगों ने अपनी बात सांझा यूं की।
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इसका सबसे ज्यादा असर प्रोपर्टी कारोबार पर पड़ेगा। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े लोग तो बिल्डर प्लॉट और फ्लैट आसान से खरीद लेंगे। इससे उनकी काली कमाई निवेश हो जाएगी। ऐसे लोगों को प्रतिबंधित होने वाले दो हजार रुपए के नोट बदलने का सबसे आसानी होगी। लेकिन आम आदमी के लिए प्रोपर्टी महंगी हो जाएगी।
गौरी शंकर जिंदल, कॉलोनाईजर श्रीगंगानगर।
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दो हजार के नोटों का प्रभाव बड़े खिलाड़ियों को जल्द से जल्द काला धन भंग करने के लिए मजबूर करेगा, यह उन्हें संपत्ति के साथ साथ सोना नकद में खरीदने के लिए आकर्षित करेगा। इसलिए रियल एस्टेट बाजार और सोने में अधिक तेजी आने के आसार है।
– तुषार अग्रवाल, कम्प्यूटर साइंटिस्ट श्रीगंगानगर
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इलाके में दो हजार रुपए के नोटो का चलन इतना अधिक नहीं है। वर्ष 2016 के बाद आए इस नोट की आवक बैंकों में काफी कम रही है। इस कारण दो हजार रुपए का चलन ज्यादा नहीं रहा है। व्यापारियों को दिल्ली या पंजाब से माल लाने के लिए दो हजार रुपए के नोट मांग लाने पड़ते है। दो हजार रुपए बंद होने से इलाके के व्यापारियों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
– तरसेम गुप्ता, अध्यक्ष संयुक्त व्यापार मंडल
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दो हजार रुपए के नोटों के चलन बंद होने से काली कमाई पर प्रत्यक्ष रूप से रोक लगेगी। केन्द्र सरकार अब ऐसे लोगों की पहचान करने के साथ साथ प्रोपर्टी या गोल्ड खरीदने में निवेश करने वालों पर कड़ी निगरानी करनी की जरूरत है। ऐसे लोग या संगठित गिरोह ज्यादातर रियल इस्टेट में अपना धन निवेश करते है।
– श्वेता शर्मा, गृहिणी एन ब्लॉक श्रीगंगानगर
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दो हजार रुपए के नोटों को संग्रहित करने वालों को केन्द्र सरकार ने आइना दिखा दिया है। कड़े कारोबारियों और आला अफसरों में दो हजार रुपए का नोट ज्यादा चलन में रहता है। इसका चलन बंद होने से काली कमाई पर रोक लगेगी। वहीं इतने बड़े नोट के गुम होने या दूल्हे की माला के रूप में होने वाला यह नोट प्रतिष्ठा का सवाल भी नहीं बनेगा।
– जसवीर सिंह मिशन, अधिवक्ता
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भारतीय रिजर्व बैंक का यह कदम उचित है। लेकिन बैँकों की कार्यशैली व बैंक कर्मचारियोंके सामान्यजन से व्यवहार पर प्रभावी निगरानी की व्यवस्था हो। वर्ष 2016 में नोटबंदी के दौरान कई बैँक और बैँक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी लेकिन सख्त एक्शन नहीं हो पाया था। अब ऐसा नहीं हो।
– शिवकुमार शर्मा,सेवानिवृत्त वरिष्ठ मुंसरिम, न्याय विभाग
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महज सात साल में दो हजार रुपए का नोट बंद होने से भारतीय करेंसी पर अन्तरराष्ट्रीय बाजार में देश की साख पर असर पड़ेगा। वहीं अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विपरीत परिणाम आएगा। वर्ष 2016 में नोटबंदी के दौरान पांच सौ रुपए, दो सौ रुपए और दो हजार रुपए के नए नोट छापने में अरबों रुपए का खर्च आया और बैँक कर्मियों की मैन पावर भी लगी थी। लेकिन अब तक कालाधन उजागर नहीं हो पाया है, यह केन्द्र सरकार की नाकामी है।
– तेज प्रताप सिंह यादव, सेवानिवृत प्रधानाध्यापक
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काला धन उजागर करने की मंशा से अब दो हजार रुपए के नोट बंद कर दिए गए है, जरूरत है कालेधन या भ्रष्टाचार में होने वाली काली कमाई के उजागर करने की। घरेलू महिलाओं की बचत का फिर से खुलासा होने लगेगा। सरकार को उन निवेशकों पर कड़ी निगरानी की करने की जरूरत है जो इलाके में रियल इस्टेट में भारी निवेश कर रहे है।
– डा. राजेन्द्र सारड़ीवाल, सेवानिवृत उपनिदेशक पशुपालन विभाग
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दो हजार रुपए का नोट बंद करना आरबीआई का उचित कदम है। यह देशहित में लिया गया निर्णय है। इससे काला धन पर सर्जिकल स्ट्राइक हो सकेगी। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े लोग बेनकाब होंगे।
– रेणु अग्रवाल, गृहिणी पंचवटी कॉलोनी