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Video : देखिए अद्वितीय भारत के उन रंगों को, जिनसे महकती हैं पूर्वोतर की फिजाएं…

लेकसिटी में सात बहनों का सतरंगी संसार आठ राज्यों के युवा उदयपुर में कर रहे हैं संस्कृति का आदान-प्रदान  

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भगवती तेली/उदयपुर . एक तरफ बौद्ध साधुओं के भजनों की पावन ध्वनियां तो दूसरी तरफ आदिवासी संस्कृति की धमचक…। हाथ में भाला लिए खड़े नागालैण्ड के योद्धा तो मुखौटा युद्ध नृत्य की प्रस्तुति देते अरुणाचल प्रदेश के युवा। सात बहनों का सतरंगी संसार इन दिनों लेकसिटी में है। हिन्द देश के निवासी सब जन एक हैं…रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं.. विनयचन्द्र मौदगल्य का लिखा यह गीत यहां साकार हो रहा है। पूर्वोत्तर भारत के राज्यों सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, मणिपुर व त्रिपुरा के युवा कलाकार सेक्टर 11 स्थित अग्रवाल धर्मशाला में एक छत के नीचे बैठकर एक-दूसरे राज्यों की संस्कृति को निहार रहे हैं और प्रस्तुतियों पर उनका उत्साहवर्धन कर रहे थे। मौका है युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के अधीन नेहरू युवा केन्द्र के उत्तर-पूर्वी राज्य युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम का। बुधवार से शुरू हुए इस सात दिवसीय कार्यक्रम में आठ राज्यों के करीब 220 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं।

हमारे यहां केसरिया बालम, वहां मिम कुट-पॉल कुट

यहां पर्वतीय क्षेत्र नागालैण्ड की 16 जनजातियों की आदिवासी संस्कृति की झलक के साथ पहाड़ों की भूमि मिजोरम के त्योहार मिम कुट-पॉल कुट व चैरो नृत्य की चर्चाएं हैं तो बोद्ध धर्मनगरी सिक्किम को समझने का प्रयास भी खूब हो रहा है। नागालैण्ड के सेकरेन्ची त्योहार को भी सभी ने पहली बार समझा।

प्रस्तुतियां ऐसी कि नजरें न हटे
उद्घाटन समारोह में असम, अरूणांचल और मेघालय के कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी। कलाकारों ने उनके राज्यों के लोकप्रिय नृत्य को प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। असम के 10 कलाकारों ने बिहु नृत्य प्रस्तुत किया। नृत्य ऐसा था कि सभी लोक टकटकी लगाए कलाकारों की मुद्राओं को निहार रहे थे। असम के कलाकारों ने बताया कि बिहु असम राज्य का लोक नृत्य है जो बिहु त्योहार से संबंधित है। यह खुशी का नृत्य है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों कर सकते हैं। इसकी विशेषता फुर्तीली नृत्य मुद्राएं और हाथों की तीव्र गति है। नर्तक पारंपरिक रंगीन असमिया परिधान पहनते हैं। इसके बाद अरूणांचल और मेघालय के कलाकारों ने भी शानदार लोकनृत्य प्रस्तुत किए।

इन राज्यों के इतने कलाकार

युवा आदान-प्रदान में असम से 31, मेघालय से 34, नागालैंड से 9, सिक्किम से 32, मिजोरम से 25, अरूणाचल प्रदेश से 29, मणिपुर से 30 और त्रिपुरा से 30 कलाकार शामिल हैं। त्रिपुरा और मणिपुर के कलाकारों के गुरुवार तक पहुंचने की संभावना है। कार्यक्रम के तहत अगले छह दिन तक कलाकारों के बौद्धिक सत्र व सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। साथ ही कलाकारों को शैक्षणिक संस्थानों व पर्यटक स्थलों का भ्रमण भी करवाया जाएगा। पहले दिन निगम आयुक्त अंकित कुमार सिंह ने युवाओं से बातचीत की।