मंजिल उन्हीं को मिलती है; जिनके सपनों में जान होती है; पंख से कुछ नहीं होता; हौसलों से ही उड़ान होती है। यह पंक्तियां तीरंदाज राधो करताम और तुलेश्वरी खुसरो पर सटीक बैठती है। दोनों की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर रही है, बावजूद वे अपने लक्ष्य को भेदती हुईं आगे बढ़ रही हैं। साइंस कॉलेज में चल रहे सब जूनियर तीरंदाजी प्रतियोगिता में उनका चयन हुआ है। पत्रिका से बातचीत में दोनों ने अपनी जर्नी साझा की। दोनों ने बताया कि हम खेल और पढ़ाई में ही समय बिताते हैं। मोबाइल से हमने दूरी बना ली है ताकि फोकस खेल व पढ़ाई में बना रहे। हमारा सपना तो देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड लाना है। अगर सुविधाएं मिले तो हम जरूर कोशिश करेंगे। हम रोजाना पांच से छह घंटे प्रैक्टिस कर रहे हैं।