
विदिशा। बेतवा नदी पर इस तरह सुबह से नदी में स्नान करने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़।
विदिशा। जिले में लगातार कोरोना पॉजीटिव मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद जिला प्रशासन इसे रोकने में कितना सुस्त है और जनता कितनी लापरवाह है। इसकी बानगी हरियाली अमावस्या पर बड़वाले घाट सहित नदी के विभिन्न घाटों पर देखने को मिली। अल सुबह से हजारों की संख्या में श्रद्धालु नदी तटों पर स्नान करने पहुंचने लगे थे और सोशल डिस्टेंस की खूब धज्जियां उड़ाई जा रहीं थी और मुंह पर मास्क तो किसी के नजर ही नहीं आ रहा था। वहीं स्नान करने के बाद आसपास के मंदिरों में पूजन के लिए और वट वृक्ष की परिक्रमा के लिए महिलाओं की खासी भीड़ दिखी। पत्रिका फेसबुक पेज लाइव पर जब यह दृश्य दिखाया गया, तो प्रशासन सक्रिय हुआ और करीब आठ बजे तहसीलदार सरोज अग्निवंशी बड़वाले घाट पहुंचीं। लेकिन बार-बार पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को उनके द्वारा फोन करने के बावजूद करीब साढ़े नौ बजे के बाद दो महिला पुलिसकर्मी पहुंची। तब तक तहसीलदार स्वयं लोगों को तट पर जाने से रोकती नजर आईं।
हरियाली अमावस्या पर हर बार बड़वाले घाट पर मेला जैसा आयोजन होता है, वहीं अन्य घाटों पर शहर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और दिनभर मेला जैसा दृश्य नजर आता है। लेकिन इस बार कोरोना काल चलने के बावजूद प्रशासन द्वारा नदी तट तक लोगों को पहुंचने से रोकने और भीड़ पर नियंत्रण के लिए पहले से कोई इंतजाम नहीं किए गए थे। अपितु बड़वाले घाट पर नहाने के बाद कपड़े आदि बदलने के लिए नपा द्वारा तंबू जरूर जगह-जगह लगवाए गए थे। जिसका नतीजा यह हुआ कि सोमवती अमावस्या पर सुबह पांच बजे से ही बड़वाले घाट पर श्रद्धालुओं की ऐसी भीड़ उमड़ी कि पैर रखने तक जगह नहीं थी। फूलमाला और बिल्वपत्र आदि बेचने वाले जगह-जगह बैठे थे। खेल-खिलौनो, वलून आदि बेचने वाले वहां बैठे नजर आ रहे थे। बड़ी संख्या में भिखारी भी कपड़े बिछाकर बैठे हुए थे। वहां मौजूद होमगार्ड के जवान और एक महिला पुलिसकर्मी सिर्फ मूकदर्शन बने नजर आ रहे थे। इनके द्वारा न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए कहा जा रहा था और न ही मुंह पर मास्क लगाने की किसी से अपील की गई।
तहसीलदार ने हाथ में उठाया जब डंडा
मामले की जानकारी लगते ही करीब आठ बजे तहसीलदार सरोज अग्निवंशी पहुंचीं और जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को इससे अवगत कराया। फिर उन्होंने सीएसपी और पुलिस कंट्रोल रूम में इसकी जानकारी दी। लेकिन इसके बावजूद करीब डेढ़ घंटे बाद दो महिला पुलिसकर्मी पहुंचीं। तब तक नदी पर आने वालों को रोकने के लिए मुख्य द्वार पर तहसीलदार ने अपनी कार खड़ी करवाकर रस्सियां बंधवा दीं और दूसरे गेट की तरफ वे स्वयं अपने साथ आए दो कर्मचारियों के साथ खड़ी हुईं और हाथ में डंडा लेकर लोगों को सख्ती से नदी पर स्नान करने जाने से रोका। वहीं मंदिरों पर लगी भीड़ को हटवाया और वट वृक्ष का परिक्रमा कर रहीं महिलाओं को भी रोका और घर जाने का रास्ता दिखाया। वहीं तट पर लगे तंबुओं को निकलवाया। साढ़े दस तक तहसीलदार बड़वाले घााट पर रहीं और पूरी वहां मौजूद पूरी जनता को बाहर निकलवाकर बैरीकेट्स लगवाकर ही वहां से रवाना हुईं और दो पुलिसकर्मियों को वहां तैनात करके आईं। लेकिन चरणतीर्थ, रामघाट, महल घाट, रंगई सहित बेतवा के अन्य तटों पर दिनभर श्रद्धालु स्नान करने पहुंचते रहे और सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ाई गईं।
इनका कहना है
बड़वाले घाट पर सुबह से बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने और मेला जैसा नजारा होने की सूचना पर तहसीलदार को वहां भेजा और नदी पर जाने से लोगों को रुकवाया और वहां मौजूद लोगों को बाहर करवाया तथा बेरीकेट्स लगवाकर पूरी तरह वहां प्रवेश बंद करवाया गया। वहीं लोगों में जागरूकता के अभाव के कारण ऐसे हालात बन रहे हैं। जनता को भी कोरोना वायरस के प्रति जागरूक होना चाहिए, तभी इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
- गोपालसिंह वर्मा, एसडीएम, विदिशा
Published on:
21 Jul 2020 06:03 am
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