
विदिशा। देवउठनी ग्यारस पर्व आज उत्साह और परम्पराओं के अनुरूप मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि जगत का संचालन करने वाले भगवान विष्णु चार माह की निद्रा के बाद देवउठनी ग्यारस पर ही जागते हैं। इसी दिन से विवाह आदि मंगल कार्यों की शुरुआत भी मानी जाती है। विदिशा में भगवान विष्णु की शयनमुद्रा में अनेक प्रतिमाएं मौजूद हैं। इस साल देवउठनी ग्यारस 31 अक्टूबरdate puja vidhi को है।
विदिशा में मौजूद भगवान विष्णु की शयनमुद्रा की प्रतिमाओंं में से चौथी शताब्दी की उदयगिरी गुफा स्थित शेषाशायी विष्णु प्रतिमा सबसे पुरानी और सबसे विशाल है।
जबकि इसी के समकक्ष प्राचीन लेकिन छोटी प्रतिमा बैसनगर में मौजूद है। जिला संग्राहलय में भी शेषनाग की शैया पर शयनमुद्रा में विष्णु भगवान की तीन प्रतिमाएं मौजूद हैं।
बैसनगर में शेषाशायी भगवान विष्णु मंदिर का निर्माण खत्री परिवार ने कराया था। यह प्रतिमा भी उदयगिरी की चौथी शताब्दी की शेषाशायी विष्णु की प्रतिमा के समकालीन ही मानी जाती है। एडवोकेट सतीश खत्री बताते हैं कि उनके घर के निर्माण के समय यह प्रतिमा पास ही खुदाई में मिली थी, तब से इसे पहले चबूतरे पर रखा गया और बाद में करीब 56 वर्ष पहले सतीश खत्री के दादाजी बाबूलाल खत्रीऔर दौलतराम खत्री ने अपने भाई शंकरलाल खत्री की स्मृति में मंदिर का निर्माण कराया।
तब से ही मंदिर में पूरन बैरागी का परिवार यहां पूजा कर रहा है। इस प्रतिमा को रंग रोगन से आकर्षक रूप दिया गया है।
उधर उदयगिरी की गुफाओं में करीब 12 फीट लम्बी विष्णु की प्रतिमा है, जिसमें शेषनाग की शैया पर विष्णु शयनमुद्रा में विराजित हैं। इसके अलावा जिला संग्रहालय में भी इसी तरह की तीन प्रतिमाएं मौजूद हैं जो इस बात का प्रमाण है कि शेषाशायी विष्णु की पूजा यहां सदियों से होती आई है।
यहां हर वर्ष देवउठनी ग्यारस पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है जो देर शाम तक रहती है। इसी साल भी यहां 31 अक्टूबर को भक्तों का तांता लगे रहने की उम्मीद है।
Published on:
30 Oct 2017 04:16 pm
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