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विदिशा। ईसा पूर्व करीब 150 वर्ष पूर्व का यह हेलियोडोरस स्तंभ दरअसल गरूड़ ध्वज है, जो विष्णु मंदिर के सामने था। एक ग्रीक हेलियोडोरस ने वैष्णव धर्म को स्वीकार कर यह स्तंभ लगवाया था, इसीलिए इसे हेलियोडोरस स्तंभ ( Heliodorus Pillar ) कहा जाने लगा। स्तंभ के चबूतरे पर खम्बे का इतिहास लिखा है, जिस पर स्पष्ट है कि इस खम्बे को खांब बाबा भी कहते हैं और ज्यादातर ढीमर लोग इसे पूजते हैं।
गौरतलब है कि यह स्थान प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्य ज्ञान के लिए भी पूछा जाता है। हाल ही में कौन बनेगा करोड़पति में अमिताभ बच्चन ने मध्यप्रदेश के ही विजय पाल से 25 लाख के सवाल पर इसे पूछा था।
भोपाल से 60 किमी दूर
यह स्थान भोपाल से 60 किमी दूर स्थित विदिशा में बेस नदी के उत्तरी तट पर है। यह लगभग 2000 साल पहले पत्थर से बनाया गया था, जो आज भी सुरक्षित है। 20 फीट 7 इंच इसकी ऊंचाई है। यह विशाल स्तंभ आज भी पूरी शान और शौकत के साथ खड़ा हुआ है। इसे खाम बाबा, खंबा बाबा, खाम्ब बाबा या हेलिओडोरस स्तंभ के नाम से पुकारा जाता है। इसे 'गरुड़ ध्वज' या 'गरुड़ स्तम्भ' भी कहा जाता है। हेलिओडोरस तक्षशिला के रहने वाले एक ग्रीक नागरिक थे। इस स्तंभ की नक्काशी देखते ही बनती है।
यह है शिलालेख
9वें शुंग शासक महाराज भागभद्र के दरबार में तक्षशिला के यवन राजा अंतलिखित की तरफ से हेलिओडोरस को राजदूत बनाया था। इसने वैदिक धर्म की व्यापकता से प्रभावित होकर भागवत धर्म स्वीकार कर लिया था। उसी ने भक्तिभाव से एक विष्णुमंदिर का निर्माण करवाया और उसके सामने गरुड़ध्वज स्तंभ बनवाया। स्तम्भ पर पाली भाषा में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग करते हुए एक अभिलेख मिलता है।इसके अभिलेख में जो लिखा है वो इस प्रकार है। देव देवस वासुदेवस गरुड़ध्वजे अयंकारिते इष्य हेलियो दरेण भागवर्तन दियस पुत्रेण नखसिला केनयोन दूतेन आगतेन महाराज सअंतलिकितस उपता सकारु रजोकासी पु (त्र)(भा) ग (भ) द्रस त्रातारसवसेन (चतु) दसेन राजेन वधमानस।
एक नजर
विष्णु मंदिर और आठ स्तंभों का निर्माण करवाया गया था। इन स्तंभों में से सात एक ही कतार में मंदिर के पूर्वी भाग में बने हुए थे, लेकिन अब केवल यही एक हेलिओडोरस स्तंभ शेष है। हल्के भूरे रंग के स्तंभ के ऊपरी भाग में गरूड़ की अत्यंत खूबसूरत मूर्ति उकेरी गई थी। विदिशा जिले के धीमर लोग इसकी पूजा करते हैं।
इस स्थान पर होकर आए अंतरराष्ट्रीय ट्रैकर संजय मधुप बताते हैं कि इसके नजदीक ही बेस नदी का मनमोहक दृश्य है। यहां के घाट पर कुछ बच्चे नदी में नहाते नजर आते हैं तो कुछ लोग पूजा-पाठ करते हुए नजर आते हैं, जो अपने आप में बेहद सुखद पल होता है। मधुप के मुताबिक आठ घंटे में गरुड़ ध्वज के साथ ही बेस नदी, उदयगिरी और सांची का अवलोकन करके लौट सकते हैं। फोटोग्राफी के लिए भी यह अच्छा स्थान है।
Published on:
10 Dec 2020 04:09 pm
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