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एक बाल्टी के लिए मर-मिटे थे दो हजार से ज्यादा सैनिक, दो साम्राज्यों के बीच छिड़ा था भीषण युद्ध

बोलोग्ना ( Bologna ) और मोडेना ( Modena ) के लोग साल 1296 में भी एक युद्ध लड़ चुके थे। ऐसे में दोनों राज्यों के बीच हमेशा तनाव का माहौल बना रहता था।

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 War of the bucket

War of the bucket

नई दिल्ली। किसी भी युद्ध ( War ) के पीछे कई कारण हो सकते है। लेकिन कुछ एक बार युद्ध ऐसे अजीबोगरीब कारणों की वजह से हुए कि जब हम उनके बारे में सोचते है तो हमारा हैरान होना तय होता है। एक ऐसे ही युद्ध की दास्तां कुछ पुराने दस्तावेजों में मिलती है जो एक बाल्टी के लिए लड़ा गया था।

यह युद्ध अपनी लड़ाई के कारण काफी दिलचस्प माना जाता है। इसमें दो हजार से अधिक लोगों की जान गई थी। यह घटना तब कि है जब 11वीं शताब्दी के दौरान रोमन सम्राट ( Roman Emperor ) फ्रेडरिक बारबरोसा ने इटली ( Italy ) पर हमला कर दिया था।

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फ्रेडरिक का ऐसा मानना था कि भगवान ने उसे धरती पर अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा है ना कि पोप को लेकिन ईरान के लोग इसको मानते नहीं थे। पोप के समर्थक को ग्वेल्फ कहा गया और फ्रेडरिक के समर्थक गिबिलाइंज कहलाए । उस दौरान यूरोप पर कब्जा को लेकर संघर्ष करते रहे। वहीं बोलोग्ना और मोडेना के बीच लडा़ई का कारण भी यही था।

दरअसल बोलोग्ना ( ( Bologna ) के लोग पोप को मानते थे जबकि फ्रेडरिक को मानने वाले बारबरोसा गुट में मोडेना के लोग थे। बोलोग्ना और मोडेना के लोग साल 1296 में भी एक युद्ध लड़ चुके थे। ऐसे में दोनों राज्यों के बीच हमेशा तनाव का माहौल बना रहता था।

13वीं शताब्दी में मोडेना के सैनिक बोलोगना में घुस गए और वहां से शहर के बीचोबीच में रखी एक बाल्टी उठा लाए। बोलोगना के सैनिक मोडेना से जो भी सामान लूट करके लाए थे उसमें से कीमती चीजों को वो बाल्टी में रखते थे और यह बाल्टी शहर के बीचो-बीच रहती थी।

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मोडेना के सैनिक जब बाल्टी ले गए तो बोलोगना ने इसे अपने सम्मान पर चोट समझी। हालांंकि बोलोगना के सैनिकों ने मोडेना के सैनिकों से बाल्टी वापस लौटाने की मांग की लेकिन मोडेना ने उनकी मांग का ठुकरा दिया और इसी वजह से बोलोगना ने मोडेना के खिलाफ युद्ध छेड़ा।

बोलोगना की सेना में 32000 सैनिक थे जिसमें 2,000 घुड़सवार सैनिक थे, दूसरी तरफ मोडेना की सेना में मात्र सात हजार सैनिक थे, मगर इतना भारी अंतर होने के बावजूद भी संमोडेना ने बोलोगना को हरा दिया। एक अनुमान के मुताबिक इस लड़ाई में करीब 2000 हजार सैनिकों की जान गई थी।