
बूंदी
नमाना. स्कूल को संचालित करने के लिए भवन भी है और बच्चों को तालिम देने के लिए एक अध्यापक भी लगा रखा है। कक्षा एक से पांच तक 8 बच्चों का नामांकन भी दर्ज है, लेकिन फिर भी यहां कोई बच्चा पढऩे नहीं आ रहा है। इस बीच आशचर्य की बात यह है कि जो बच्चे पढऩे आते हैं वह भी पोषाहार लेकर वापस चले जाते हैं। हम बात कर रहे हैं बूंदी पंचायत समिति के लोईचा पंचायत के पालकिया के प्राथमिक विद्यालय की, जहां बिन बच्चों की पाठशाला चल रही है। शनिवार को विद्यालय में अध्यापक के अलावा वहां कोई बच्चा मौजूद नहीं था, जबकि स्कूल के सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार वहां 8 बच्चों का नामांकन दर्ज है।
मात्र पढऩे वाले 8 बच्चे
अध्यापक का कहना है कि गांव के बच्चे पढऩे में रुचि नहीं दिखाते हैं। रोजाना पढ़ाने के लिए बच्चों को गांव में लेने के लिए जाता हूं, लेकिन कोई बच्चा आता ही नहीं। जब स्कूल में पोषाहार पककर तैयार हो जाता है तब बच्चे आते हैं और उसे खाकर वापस चले जाते हैं। 30 घरों की इस बस्ती में मात्र पढऩे वाले 8 बच्चे हैं।
आधे से ज्यादा उठ रहा पोषाहार
पालकिया के सरकारी स्कूल में पोषाहार सामग्री की आधे से ज्यादा खपत हो रही है। स्कूल के पोषाहार रिकॉर्ड के अनुसार रोजाना आधे से ज्यादा सामान की खपत हो रही है, जबकि बच्चे स्कूल में पढऩे ही नहीं आ रहे है। इस स्कूल में कक्षा तीन में एक भी बच्चे का नामांकन दर्ज नहीं है। पाठशाला में कार्यरत अध्यापक ने कहा कि इस वर्ष कक्षा तीन में पढऩे वाला एक भी बच्चा नहीं मिला तो कहां से नामांकन दर्ज करेंगे।
इनका कहना है
स्कूल में 8 बच्चों का नामांकन दर्ज है। गांव में बच्चे ही नहीं हैं इसलिए नामांकन कहां से बढ़ेगा। बच्चे पोषाहार खाकर वापस अपने घर चले जाते हैं।
हनुमान मेघवाल, प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय पालकिया
Published on:
28 Jul 2018 11:01 pm
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