
नई दिल्ली: आज हम लोकतंत्र की खुली हवा में जीते हैं, लेकिन क्या पहले भी ऐसा था क्योंकि राजा महाराजाओं का दबादबा कई जगहों पर रहा। वो अपनी हुकूमत चलाते थे, लेकिन इस दौरान वो इंसानियत भूलकर क्रूरता की सारी हदें पार कर देते थे। एक ऐसे ही क्रूर शासक की बात हम कर रहे हैं।
लोगों को चिनवा दिया
चौंदहवी शताब्दी के शासक तैमूर लंग ( timur lang ) 1369 ई. में समरकंद के अमीर के रूप में अपने पिता के सिंहासन पर बैठने के बाद तैमूर विश्व-विजय बनने के लिए अपनी राह पर निकल पड़ा। तैमूर ने कई देशों को जीता और 1398 ई. में भारत पर आक्रमण किया। इस दौरान वो दिल्ली तक बढ़ा, लेकिन इतिहास के मुताबिक, वो महज 15 दिनों तक ही दिल्ली में रूका था। जहां उसने जमकर लूटपाट की और सारा माल लेकर अपने वतन लौट गया। तैमूर लंग ने चंगेज खां की पद्धति को अपना रखी थी। लेकिन क्रूरता और निष्ठुरता के मामले में वो चंगेज खां से भी एक कदम आगे था। इतिहास में तैमूर लंग को एक खूनी योद्धा की संज्ञा दी गई है। तैमूर जब भी जंग के लिए मैदान में उतरता तो बड़ी गिनती मे लाशे बिछा देता था। कहते हैं, एक जगह उसने दो हजार जिन्दा आदमियों की एक मीनार बनवाई और उन्हें ईंट और गारे में चुनवा दिया।
नाम के पीछे की ये है कहानी
तैमूर ने भारत की समृद्धि के बारे में पहले से सुना हुआ था, जिसके चलते उनसे भारत पर आक्रमण और लुटने की योजना बनाई। भारत में लूटपाट करने के बाद वो समरकंद के लिए रवाना हो रहा था, तो जाते-जाते अनेक जवान और बंदी बनाई गई औरतों और शिल्पियों को भी अपने साथ ले गया। तैमूर लंग का नाम पहले केवल तैमूर था। नाम के पीछे लंग जुड़ने की कहानी उसके जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार युवावस्था में तैमूर के शरीर का दाहिना हिस्सा बुरी तरह घायल हो गया था। इतिहासकारों की माने तो तैमूर की यह हालत एक हादसे के कारण हुई थी। तैमूर भाड़े के मजदूर के तौर पर खुराशान में पड़ने वाले खानों में काम करता था। इसी खान में एक हादसे के दौरान वह जख्मी हो गया था।
Published on:
15 Nov 2019 02:02 pm
बड़ी खबरें
View Allअजब गजब
ट्रेंडिंग
