
स्पेस में पीरियड्स को ऐसे मैनेज करती हैं महिला अंतरिक्ष यात्री, किसी चुनौती से कम नहीं है यह काम
नई दिल्ली। पहले के जमाने में पुरूष घर से बाहर का काम संभालते थे और महिलाएं घर के अंदर रहकर परिवार और घर की जिम्मेदारियों को पूरा करती थीं। धीरे-धीरे समाज में लोगों की सोच में परिवर्तन आया और पिछले कुछ सालों से महिलाएं पुरूषों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर बेहतर प्रदर्शन देते आ रही हैं। ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं होगा जहां महिलाओं ने अपना परचम नहीं लहराया। धरती से लेकर अंबर तक।
जी हां, न केवल धरती पर रहकर बल्कि स्पेस में भी महिला अंतरिक्ष यात्री रिसर्च के लिए जाती हैं और अपने काम को सफलतापूर्वक पूरा कर वापस पृथ्वी पर लौट आती हैं। अब तक 60 फीमेल एस्ट्रोनॉस्ट अंतरिक्ष के दौरे पर जा चुकी हैं। सबसे पहले सोवियत संघ की वलेंटिना तेरेश्कुवा ने साल 1963 में ऐसा किया था।
स्पेस में जाने से पहले अंतरिक्ष यात्रियों को कई तरह के फिजिकल और मेंटल टेस्ट का सामना करना पड़ता है। उनका पूरा चेकअप होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्पेस में एक लंबी अवधि के लिए जाना पड़ता है। महीनों तक रहना पड़ता है ऐसे में शारीरिक रूप से अस्वस्थ या मानसिक रूप से चंचल लोगों को किसी मिशन पर भेजना खतरनाक साबित हो सकता है। अब सवाल यह आता है कि बाकी सब तो ठीक है, लेकिन स्पेस में महिला अंतरिक्ष यात्री पीरियड्स को कैसे मैनेज करती है?
जीरो ग्रैविटी में पीरियड्स को मैनेज करना कोई आसान काम नहीं है और उसी हालत में काम करना और भी मुश्किल होता है। ऐसे में उनके साथ डॉक्टरों की टीम भी रहती हैं जो उन्हें पीरियड्स को रोकने की दवा देते हैं हालांकि मेडिसिन लेकर पीरियड्स को रोकना पूरी तरह से उनकी मर्जी पर निर्भर करता है। वे चाहें तो सैनेटरी नैपकिन या टैम्पॉन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
गायनोलॉजिस्ट और रिसर्चर्स का इस बारे में कहना है कि, स्पेस में भी धरती की ही तरह पीरियड्स अपने फिक्स डेट पर ही आता है। फीमेल एस्ट्रोनॉट्स मिशन पर जाने से पहले ही अपने साथ दवाइयां लेकर जाती हैं, जिन्हें खा लेने से उनके पीरियड्स नहीं होते हैं।
यह पूरी तरह से उनकी चॉइस है कि वे इसे मैनेज करना चाहती हैं। वैसे डॉक्टर्स का यह भी मानना है कि, स्पेस में इस तरह की दवाईयों का सेवन फायदेमंद होता है।
पीरियड्स को रोकने वाली ये दवाईयां बॉडी में एस्ट्रोजेन हार्मोन को बढ़ावा देती हैं, जिससे उनकी हड्डियां मजबूत होती हैं।
यानि कि इससे एक बात तो साफ है कि, धरती की ही तरह स्पेस में पीरियड्स सामान्य ही होते हैं,लेकिन जीरो ग्रैविटी में इस स्थिति से गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं हैं और दुनिया भर की फीमेल एस्ट्रोनॉट्स इस चुनौती का सामना सालों से ही सफलतापूर्वक करती आ रही हैं।
Published on:
19 Nov 2018 11:26 am
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