29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

युवती के शरीर में नहीं था मलद्वार, 20 साल तक पेशाब के रास्ते करती रही मलत्याग

महराजगंज गोरखपुर की युवती 20 साल से पेशाब के रास्ते करती रही मल-त्याग युवती की शादी तय हुई तब जाकर परिजनों को इलाज कराने की आई सुध

2 min read
Google source verification
Gorakhpur 20 Year old Girl Excrete by way of urine

युवती के शरीर में नहीं था मलद्वार, 20 साल तक पेशाब के रास्ते करती रही मलत्याग

नई दिल्ली। महराजगंज गोरखपुर ( Gorakhpur ) में परिजनों का अपनी बेटी की तकलीफ को नज़रअंदाज़ करने का मामला सामने आया है। करीब 20 साल से पीड़ित लड़की पेशाब के रास्ते मल-त्याग करती रही। 20 वर्षों तक माता-पिता को बेटी की ये तकलीफ समझ नहीं आई लेकिन जब उसकी शादी तय हुई तो उन्हें उसका इलाज करने सुध आई। इलाज के दौरान हुई जांच में डॉक्टर को पता चला कि उसके शरीर में मलद्वार ही नहीं है। इस वजह से लड़की काफी लंबे समय से पेशाब के रास्ते के संक्रमण ( uti Infection ) के दर्द से भी जूझ रही थी।

किडनी भी होने लगी खराब

युवती की इस हालत को सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सोचिए उसे कितनी तकलीफ होती होगी। इस शारीरिक तकलीफ ने जीते-जी युवती की ज़िंदगी नर्क बना दी। इस बीमारी के चलते लड़की की पढ़ाई छूट गई, वह कहीं भी जाने से हिचकिचाती थी। इतने दिनों से ( UTI ) की तकलीफ झेल रही युवती की अब किडनी ( KIDNEY ) भी खराब होने लगी थी। बेटी की शादी तय करने पर परिजनों को लगा कि अब उसका इलाज करवा देना चाहिए। करीब छह महीने पहले वे उसका इलाज कराने बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले गए।

युवती की हालत देख डॉक्टर भी हैरान

एक मीडिया रिपोर्ट ने मुताबिक, युवती की हालत देखकर डॉक्टर हैरान रह गए। आमतौर पर यह दिक्कत बच्चों के पैदा होते ही उनमें देखने को मिलती है। अमूमन बच्चों के पैदा होने के करीब एक दो महीने में ही परिजन उनका इलाज करा देते हैं। डॉक्टरों ने पहली बार अपने जीवन में इस बीमारी से जूझ रही इतनी उम्र की मरीज़ देखी। जांच में पता चला कि युवती के शरीर में मलद्वार नहीं है। इस बीमारी की वजह से उसके बच्चेदानी में सुराख भी हो गया था।

6 महीने के अंदर हुए तीन ऑपरेशन

छह महीनों में युवती के तीन ऑपरेशन हुए। डॉक्टरों के मुताबिक, सारे ऑपरेशन बहुत मुश्किल थे। ऑपरेशन कर नया मलद्वार बनाया गया। साथ ही बच्चेदानी में सुराख को बंद किया गया। तब जाकर तीसरे चरण का ऑपरेशन हुआ। इसमें मल निकासी के वैकल्पिक मार्ग को बंद कर दिया। ऑपरेशन के बाद युवती अब बेहतर महसूस कर रही है।

हालात के सामने टेक दिए घुटने

जब भी लड़की अपनी दिक्कत बताती है तो उसकी आंखें भर आती हैं। वह कहती है 'जब से मैंने होश संभाला है तब से इस तकलीफ के साथ जीना पड़ रहा है।' इस बीमारी की वजह से उसके शरीर से दुर्गन्ध आती थी। स्कूल में कोई बच्चा उसके पास बैठना नहीं चाहता था। ऐसे में उसने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के घर भी जाना बंद कर दिया था। बचपन में ही उसकी ज़िंदगी नर्क से बद्द्तर हो गई। उसने फैसला ले लिया कि वह स्कूल नहीं जाएगी।

माता-पिता का कहना है- 'भगवान की मर्ज़ी'

लड़की के पिता केवल आठवीं तक पढ़े हैं और मां। पिता बंगलौर में पेंट-पालिश का काम करते हैं। अज्ञानता की वजह से युवती के माता-पिता मान बैठे कि यह सब भगवान की मर्ज़ी है। उनका कहना है कि उन्हें पता ही नहीं था कि उसकी इस बीमारी का इलाज भी हो सकता है। फिलहाल लड़की की हालत अब ठीक है और अब उसकी दिनचर्या एक आम इंसान की तरह चल रही है।