
यूरिन से भीगे हुए कपड़ों को मुंह में मजबूरन बांधना पड़ता था सैनिकों को, वजह कर देगी हैरान
नई दिल्ली। प्रथम विश्वयुद्ध के बारे में तो आप सभी जानते होंगे जिसकी सबसे अहम वजह ऑस्ट्रिया के राजकुमार की बोस्निया की राजधानी सेराजेवो में हुई हत्या को बताई जाती है।
इसकी शुरूआत साल 1914 के 28 जुलाई को ऑस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण किये जाने के साथ हुई थी। साल 1914 से 1918 तक चले इस भयानक युद्ध में 30 से भी ज्यादा देशों ने हिस्सा लिया था। करीब चार साल तक चले इस युद्ध के चपेट में आधी दुनिया आ गई थी जिस वजह से इसे महायुद्ध के नाम से पुकारा जाने लगा।
बात अगर आंकड़ों की करें तो इसके मुताबिक प्रथम विश्वयुद्ध में लगभग इसमें एक करोड़ लोगों की जान चली गई। कई लोग इसमें घायल हो गए। आज हम आपको प्रथम विश्वयुद्ध के समय की एक ऐसी बात बताने जा रहे है जिसके बारे में जान आपको बेहद हैरानी होगी।
बता दें, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लगभग 30 अलग-अलग तरह की जहरीली गैसें छोड़ी गयी थी जिसकी चपेट में आने से न केवल सैनिक बल्कि आम इंसान भी काल के गाल में समा रहे थे।
ये गैसें इस कदर हानिकारक थी कि इसकी चपेट में आए कई सैनिकों को अपनी जिंदगी अस्पताल में ही गुजारनी पड़ी।
रिर्पोट्स की मानें तो प्रथम विश्व युद्ध में कुल 8 लाख भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया था जिसमें से लगभग 47746 हजार सैनिक मारे गए और 65000 हजार लोग घायल हो गए थे।
स्थिति दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही थी। ऐसे में युद्ध भूमि में डटे रहने के लिए सैनिक अपने मुंह पर यूरीन से भीगा हुआ कपड़ा बांधने लगे। जी हां, हैरान कर देने वाली यह बात बिल्कुल सच है। सैनिक ऐसा इसलिए करते थे ताकि जहरीली गैस की चपेट में आने से वे खुद को बचा सकें। हालांकि, साल 1918 में सैनिकों के बीच गैस मास्क का वितरण किया गया था.
Published on:
05 Jul 2018 03:28 pm
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