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Humanoid Robot Shalu : 47 भाषाओं में बात करती है ‘शालू’, सामान्य ज्ञान भी गजब का

यह रोबोट शालू 9 भारतीय और 38 विदेशी भाषा जानता है।इसको वेस्ट मटीरियल प्लास्टिक, गत्ते, लकड़ी, एल्युमिनियम से तैयार किया।

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humanoid robot

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नई दिल्ली। साइंस और टेक्नोलॉजी ने मानव जीवन को आसान और सरल बना दिया है। विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है और वह लगातार नए-नए प्रयोग कर नई-नई चीजें लेकर आ रहा है। पहले के मुकाबले इंसान को कम मेहनत में अच्छा काम करने के लिए विकल मिल रहे हैं। इसी कड़ी में साइंस रोबोट पर लगातार काम कर रही है। आज के समय में कई होटलों और कारखानों में इंसान की जगह रोबोट काम कर रहा है। वैज्ञानिक रोबोट को एडवांस बनाकर इंसान की तुलना में उसे काफी ज्यादा पावरफुल बना दिया है। आज आपको महाराष्ट्र के एक ऐसे टीचर के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने एक अनोखा रोबोट तैयार किया है। आपको यह जानकर हैरानी होगी यह रोबोट 47 भाषा में बात कर सकता है।

47 भाषाओं में बात कर सकता है शालू
आईआईटी बॉम्बे कैंपस में स्थित केंद्रीय विद्यालय के साइंस टीचर दिनेश पाटिल ने एक अनोखा रोबोट तैयार किया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह रोबोट 47 भाषाओं में बात कर सकता है। इसका नाम शालू रखा गया है। यह दिखने में इंसान की तरह नजर आता है। दिनेश पाटिल का कहना है कि शालू हिन्दी, इंग्लिश, मराठी, भोजपुरी, जर्मन और फ्रेंच समेत 47 देसी-विदेशी भाषाओं में बात कर सकता है। शालू 9 भारतीय और 38 विदेशी भाषा जानता है।

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वेस्ट मटीरियल से किया तैयार
एक इंटरव्यू में दिनेश पटेल ने बताया कि वह सुपरस्टार अभिनेता रजनीकांत की फिल्म 'रोबॉट'से काफी प्रभावित थे। यह मूवी देखने के बाद उन्होंने ह्यूमनॉयड रोबॉट पर काम किया। बताया जा रहा है कि यह हॉन्गकॉन्ग के हैंसन रोबॉटिक्स के तैयार किए सोफिया ह्यूमनॉयड से मिलता-जुलता है। दिनेश ने बताया कि शालू को वेस्ट मटीरियल जैसे प्लास्टिक, गत्ते, लकड़ी, एल्युमिनियम आदि से तैयार किया गया है। इसको बनाने में तीन साल का समयल लगा है। खर्च की बात करे तो इसमें करीब 50 हजार रुपए की लागत आई है। यह ह्यूमनॉइड पूरी तरह से मेड इन इंडिया है। इसमें लगे सभी उपकरण लोकल मार्केट से खरीदे गए हैं।

इसके दूसरे वर्जन करेंगे काम
खास बात यह है कि शालू लोगों को पहचान सकता है और उनके नाम भी याद रख सकता है। सामान्य ज्ञान से संबंधित सवालों के जवाब भी दे सकता है और गणित के सवाल भी हल कर देता है। यह अपनी भावनाएं जाहिर करने के साथ-साथ अखबार और रेसिपी भी पढ़ सकता है। दिनेश का कहना है कि वह जल्द ही इसके वर्जन-2 को बनाना शुरू करने वाले है। वे इसको स्कूल में ले जाना चाहते हैं ताकि बच्चे पढ़ भी सकें और उनका एंटरटेनमेंट हो सके।