
क्या होता है अगर कोई गैर-मुस्लिम मक्का में लेता है छिपकर एंट्री, होता है उसका ऐसा हश्र
नई दिल्ली। हमारे देश में मंदिरों की संख्या अनगिनत है। इनमें से कई सारी मंदिरे काफी पुरानी होने के साथ ही बहुत प्रसिद्ध भी है। इन मंदिरों में रोज हजारों श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है लेकिन आपको बता दें कि इनमें से कुछ मंदिरों के नियम काफी सख्त हैं जिसके तहत मंदिर के अंदर गैर-हिंदूओं के प्रवेश की मनाही है। यानि कि इन मंदिरों में केवल हिंदू ही जा सकते हैं। किसी भी अन्य जाति,धर्म या सम्प्रदाय के लोग मंदिर में नहीं घुस सकते हैं। जैसे कि उड़ीसा का जगन्नाथ मंदिर, वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर, माउंट आबू का दिलवारा मंदिर इत्यादि।
ये तो रही बात हिंदुओं की। अब अगर बात हो मुसलमानों की तो क्या कभी सोचा है कि इस्लाम के पवित्र तीर्थ स्थल पर यदि कोई गैर-मुस्लिम चला जाए तो उसका अंजाम क्या होगा। आइए आज हम आपको बताते हैं कि यदि कोई गैर-मुस्लिम मक्का में प्रवेश कर जाएं तो उसके साथ आखिर क्या होता है?
सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि मक्का में कोई गैर-मुसलमान जा ही नहीं सकता क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां केवल इस्लाम धर्म को मानने वाले ही जा सकते हैं। मक्का जाने के रास्ते में आपको जगह-जगह ऐसे बोर्ड देखने को मिलेंगे जिस पर लिखा हुआ है कि मक्का में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है। पहले यहां गैर-मुस्लिम के स्थान पर काफिर शब्द का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन बाद में इसका प्रयोग बंद हो गया।
बता दें मक्का में जाने के लिए एक विशेष परमिट की आवश्यकता पड़ती है जो इस बात का सबूत होता है कि यहां जा रहा व्यक्ति मुस्लिम है। परमिट देते वक्त इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता है कि यहां गलती से भी कोई गैर-मुस्लिम न जा पाएं।
मान लीजिए कि बावजूद इसके कभी ऐसा हो जाता है तो उस इंसान पर सरकार की ओर से जुर्माना लगाया जा सकता है या उसे देश से निकाल भी दिया जा सकता है।
ऐसी मान्यता है कि किसी भी गैर-मुस्लिम के प्रवेश करने से इस पाक जगह की पवित्रता खंडित हो जाएगी।
Published on:
30 May 2018 01:14 pm
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