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एक खास वजह से इस झरने के नीचे नहाने दूर-दूर से आते हैं लोग, एेसी है मान्यता

रविवार को 100 फीट ऊंचे इस जलप्रपात में चट्टान गिरने से उसमें स्नान कर रहे सात लोगों की मौत हो गई थी जबकि 33 अन्य घायल हो गए थे।  

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Vinay Saxena

Jul 17, 2018

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एक खास वजह से इस झरने के नीचे नहाने दूर-दूर से आते हैं लोग, एेसी है मान्यता

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के सियाड़ बाबा झरना हादसे में घायल हुई 50 वर्षीय महिला की रियासी के एक अस्पताल में आज मौत हो गई। हादसे में मरने वालो की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। बता दें, रविवार को 100 फीट ऊंचे इस जलप्रपात में चट्टान गिरने से उसमें स्नान कर रहे सात लोगों की मौत हो गई थी जबकि 33 अन्य घायल हो गए थे।

बनाई जाएगी बाउंड्री वाॅल


हादसे के बाद भविष्य में लोगों की जानें खतरे में न पड़ें, इसके लिए लोगों को झरने से दूर रखने के लिए जिला प्रशासन बाउंड्री वॉल बनवाएगा। ये बाउंड्री वॉल श्रद्धालुओं और इस स्थान की मान्यता के बीच एक लक्ष्मण रेखा जैसी होगी।

एेसी है मान्यता

बता दें, यह एक धार्मिक स्थल है जिसका संबंध वर्षों पहले यहां तपस्या में लीन रहने वाले सियाड़ बाबा और यहां पर ही निवास करने वाले नाग देवता से माना जाता है। बताया जाता है कि कुछ विद्वान नाग देवता को बंगाल ले गए थे, लेकिन अभी भी इस स्थान पर कई बार नाग के दर्शन हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई निसंतान हो तो वह यहां ऊंची पहाड़ी से नीचे गिरने वाले झरने के नीचे स्नान करे और उन कपड़ों को इसी स्थान पर छोड़ कर लौट जाए। ऐसा करने पर निसंतान लोगों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। सियाड़ बाबा धार्मिक स्थल पर पिछले करीब 50 साल से मौजूद 92 साल के महात्मा गिरवर दास त्यागी के मुताबिक, निसंतान लोगों को अगर संतान सुख प्राप्ति की मुराद पूरी करनी हो तो झरने के ठीक नीचे स्नान करने की ही मान्यता है।

भूस्खलन की चपेट में आकर गई आठ लोगों की जान


बता दें, रविवार को पहाड़ पर से हुए भूस्खलन की चपेट में आकर झरने के नीचे मौजूद लोगों में से आठ लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 33 लोग घायल हो गए थे। इसके लिए भविष्य में लोगों को झरने से स्थायी तौर पर दूर रखने के लिए बाउंड्री वॉल बनवाई जाएगी। झरने से कुछ दूर सुरक्षित स्थान पर नहाने का स्थान बनवाया जाएगा, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित स्थान से ही माथा टेक कर स्नान भी कर सकें।