खबर के मुताबिक- सिमिक ने इस बात का दावा करते हुए कहा हैं कि सर्बिया की इन गधियों के दूध में मां के दूध जैसे गुण होते हैं। साथ ही एक मानव शरीर को जन्म के पहले दिन से ही ये दूध दिया जा सकता है और वो भी इसे बगैर पतला किए हुए। वो इस दूध को कुदरत का करिश्मा कहते हैं और ये भी बताते हैं कि सेहत के लिहाज से ये दूध बहुत फायदेमंद हैं। ये दूध अस्थमा और ब्रॉकाइटिस जैसे रोगों में भी लाभदायक है।
रिपोर्ट के अनुसार- सिमिक ने बताया कि पहले किसी ने गधी के दूध का इस तरह से इस्तेमाल नहीं किया होगा। जब उन्हें इस दूध से पनीर बनाने का आइडिया आया तो पहली समस्या यह थी कि इस दूध में कैसीन का स्तर कम होता है, जो पनीर के लिए बाइंडिंग एजेंट का काम करता है। लेकिन बाद में चीज़ बनाने के लिए ज़ैसाविका के एक सदस्य ने सिमिक की मदद की और रास्ता यह खोजा गया कि अगर इस दूध में बकरी के दूध की कुछ मात्रा मिलाई जाए तो पनीर बनाया जा सकता है।
खास बात यह है कि एक फीमेल डॉन्की एक दिन में एक लीटर दूध भी नहीं देती, जबकि एक गाय से 40 लीटर प्रतिदिन तक दूध मिल सकता है। इसी वजह से इससे पनीर का उत्पादन बहुत कम हो पाता है। एक साल में ये फॉर्म 6 से 15 किलो तक पनीर बनाता और बेचता है।
जब पनीर का उत्पादन कम होता है तो इसकी कीमत बहुत बढ़ जाती है। इसे खरीदने के लिए अधिकतर लोग विदेशी और पर्यटक होते हैं। इतना ही नहीं उनके फॉर्म से फीमेल डॉन्की के दूध से साबुन और शराब भी बनाई जाती है।