
खुद को जिंदा जलने से बचाने के लिए ये इन गांवों में छिपकर जी रही हैं अपनी जिंदगी, जरूरत के वक्त परिवार ने भी किया किनारा
नई दिल्ली। दुनिया में कई तरह की अंधविश्वास प्रचलित हैं। सभी समुदायों के अपने कुछ नियम हैं जिनका पालन वे पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। परंपराए ही एकमात्र ऐसी चीज है जो हर एक समुदाय को दूसरे से अलग बनाती हैं लेकिन दुख की बात तो यह है कि अकसर रीतियों के नाम पर समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव होता रहा है। आज हम एक ऐसी ही अजीबोगरीब रीति के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आपको बड़ी हैरानी होगी।
बता दें हम यहां अफ्रीकन कंट्री घाना की बात कर रहे हैं। इस क्षेत्र में ऐसे 6 गांव हैं जिन्हें चुड़ैलों का गांव कहा जाता है। आखिर ऐसा क्यों? दरअसल इन गांवों में ऐसी महिलाएं रहती हैं जिन्हें डायन या चुड़ैल कहकर समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है। अब सवाल यह आता है कि आखिर इन्हें चुड़ैल क्यों कहा जाता है? इसके पीछे की वजह क्या है?
इन महिलाओं को चुड़ैल या डायन घोषित करने की वजह भी काफी अजीबोगरीब है। जब गांव में किसी व्यक्ति की मौत सांप के काटने से या डूबने से होती है तो इस वजह से उस व्यक्ति से संबंधित महिला को चुड़ैल कहकर उसे गांव से निकाल दिया जाता है। यह घटना एक या दो महिलाओं के साथ नहीं बल्कि इससे कई महिलाएं प्रताड़ित हो चुकी हैं। वे अपना अलग समाज बनाकर उसमें रहने को विवश हैं। इन महिलाओं को अपवाद देकर उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। कभी-कभार तो उन्हें जिंदा जला दिया जाता है।
इन सारी यातनाओं से खुद को बचाने के लिए यहां की औरतें अपना घर-द्वार छोड़कर कही और जाकर बस जाती हैं। बता दें कि घाना में इस तरह के कुल 6 गांव हैं, जिनमें गांबागा और गुशीगू प्रमुख हैं।
चुड़ैलों के गांव में रहने वाली ये महिलाएं अपनी पहचान खो चुकी होती हैं। सबसे कष्टदायी बात तो यह है कि महज एकअफवाह के चलते उनके घरवालें उनसे कोई रिश्ता नहीं रखते हैं।
घाना के इन 6 गांवों में रह रही इन महिलाओं की संख्या करीब 1500 के आसपास है। 21वीं सदीं में भी अगर इन घटनाओं को मानकर यदि किसी पर बेवजह जुल्म ढ़ाया जाएं तो इससे दुखद और कुछ नहीं।
Published on:
23 Jun 2018 03:20 pm
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