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आठ साल की मासूम हंसते हुए झेल रही थी इस दर्द को, डॉक्टरों ने देखा तो दिमाग में रेंगते दिखे सैकड़ों कीड़े

हमेशा खुशमिजाज और स्वस्थ इस बच्ची के साथ कुछ ऐसा हुआ जिससे उसके माता-पिता काफी परेशान हो गए और उसे फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती कराया।

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Arijita Sen

Jul 23, 2018

tapeworm eggs

आठ साल की मासूम हंसते हुए झेल रही थी इस दर्द को, डॉक्टरों ने देखा तो दिमाग में रेंगते दिखे सैकड़ों कीड़े

नई दिल्ली। अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमेशा इस बात की सलाह दी जाती है कि, तरह-तरह की हरी और कलरफूल सब्जियों, मौसमी फल,दालें,मीट इत्यादि को अपने डेली डायट का हिस्सा बनाए। अब अगर यही सारी चीजें हमारी जान पर बन आए तो इससे बुरी स्थिति और क्या हो सकती है।

अब आप इस 8 साल की बच्ची को ही देख लीजिए। हमेशा खुशमिजाज और स्वस्थ इस बच्ची के साथ कुछ ऐसा हुआ जिससे उसके माता-पिता काफी हैरान और परेशान हो गए। दरअसल, इस बच्ची को पिछले 6 महीनों से सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा था और इसके साथ ही उसे मिर्गी के दौरे भी आने लगे। बच्ची की बिगड़ती हुई स्थिति को देखते हुए उसके पैरेंट्स ने उसे फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती कराया।

जहां सीटी स्कैन में इस बात का खुलासा हुआ कि, उसके दिमाग में 100 से ज्यादा सिस्ट्स थे। ये सिस्ट्स टेपवॉर्म एग्स थे। डॉक्टर्स का इस बारे में कहना था कि, शुरूआती लक्षणों को देखते हुए यह समझा गया था कि उसे न्यूरोसिस्टीसरकोसिस नामक बीमारी है। इसी बीमारी के चलते उसके दिमाग में सूजन आ गई है और शरीर का वजन भी 20 किलो तक बढ़ गया है। इन सब के चलते बच्ची को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी और वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।

सूजन को कम करने के लिए उसे काफी लंबे समय तक काफी हैवी डोज की दवा दी गई। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि, इसके बाद भी विदिशा की हालत में रत्ती भर सुधार नहीं हुआ। इसके बाद डॉक्टरों को मजबूरन सिटी स्कैन करना पड़ा। रिपोर्ट में दिखा कि, बच्ची के दिमाग में 100 से ज्यादा सिस्ट दिखे जिन्हें डॉक्टरों ने टेपवर्म एग डिटेक्ट किया।इसके बाद ऑपरेशन कर उसके ब्रेन से इन अंडों को बाहर निकाला गया। सर्जरी के बाद बच्ची की हालत अभी ठीक है।

डॉक्टर्स का इस बीमारी के बारे में कहना है कि, यह इन्फेक्शन गलती से टेपवर्म संक्रमित खाना खाने से हुई थी। मीट, फूलगोभी और कुछ तरह के फलों को खाने से टेपवर्म का कीड़ा पेट के रास्ते मस्तिष्क में चला जाता है और वहां अंडे देना शुरू कर देता है। यदि वक्त रहते हुए सही इलाज नहीं हो सका तो यह जानलेवा भी हो सकता है।