
नई दिल्ली: इंसान अगर इस धरती पर आया है तो उसे यहां से एक न एक दिन जाना भी होगा। लेकिन फिर मौत का डर दुनिया का सबसे भयानक डर होता है। ऐसे में इंसान इससे बचने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है। ऐसी ही एक कहानी है उत्तर प्रदेश के जौनपुर में जलालपुर थाना क्षेत्र के हौज खास निवासी चिंता हरण चौहान की। लेकिन इन्हें मौत का डर पिछले 30 साल से सता रहा है। ऐसे में ये औरत बनकर घूम रहे हैं।
दरअसल, 66 साल के चिंता हरण के मुताबिक, प्रेत आत्मा के चक्कर में उनके परिवार के 14 लोगों की मौत हो गई थी। ये दर्द उन्हें हमेशा सताता है। 14 साल की उम्र में चिंता ने शादी की, लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही उनकी पत्नी की मौत हो गई। इसके बाद वो कुछ सालों तक ऐसी ही रहे और 21 साल की उम्र में अपने दिन काटने के लिए पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर में भट्ठे पर काम करने चले गए। यहां उनका काम कई भट्टों के मजदूरों के रसोई के सामान की खरीदारी की जिम्मेदारी थी। यहां एक स्थानीय बंगाली की राशन की दुकान थी। उनकी दुकानदार से मित्रता हो गई और एक दिन दुकानदार ने अपनी बेटी की शादी का प्रस्ताव चिंता हरण के सामने रखा।
चिंता ने भी बिना सोचे-समझे बंगाली लड़की से विवाह कर लिया। वहीं जब घर वालों ने इस शादी का विरोध किया, तो चिंता लड़की को छोड़कर घर आ गए। दूसरी तरफ लड़की ने इसे धोखा समझ कर चिंता हरण के वियोग में आत्महत्या कर ली। इसके बाद चिंता की तीसरी शादी कर दी गई। इसके बाद चिंता बीमार हो गए और घर के सदस्यों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया। चिंता हरण ने बताया कि उनके पिता राम जीवन, बड़ा भाई छोटाउ, उसकी पत्नी इंद्रावती और उसके दो बेटे, छोटा भाई बड़ाऊ और तीसरी पत्नी से तीन बेटियां व चार बेटों की मौत का सिलसिला एक के बाद एक चलता रहा।
चिंता के मुताबिक, उनकी मृतक बंगाली पत्नी उनके सपने में हमेशा आती थी और चिंता के दिए गए धोखे पर खूब रोती थी। वहीं एक दिन सपने में चिंता ने मृतक बंगाली पत्नी से उनके परिवार के अन्य सदस्यों को बख्ख देने की गुहार लगाई। पत्नी का दिल पिघला और उसने कहा कि मुझे सोलह सिंगार के रूप में अपने साथ रखो, तब मैं सबको बख्श दूंगी। तब से पिछले 30 सालों से चिंता हरण सोलह श्रृंगार करके एक महिला के वेश में जी रहे हैं। लेकिन वो ये जीवन डर से जी रहे हैं।
Published on:
05 Nov 2019 11:11 am
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