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इस गंगाजली कलश को देखने यहां दूर-दूर से आते हैं लोग, अपनी खासियतों के चलते गिनीज बुक में दर्ज करा चुका है नाम

इस गंगाजली कलश को देखने के लिए यहां दूर-दूर से लोगों का आना जाना रहता है। इसकी कलाकृति के चलते इसका नाम गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है।

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Gangajali kalash

इस गंगाजली कलश को देखने यहां दूर-दूर से आते हैं लोग, अपनी खासियतों के चलते गिनीज बुक में दर्ज करा चुका है नाम

राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो आज भी अपने अंदर पुरानी पंरपराओं,सभ्यताओं और संस्कृति को सहेजे हुए हैं। राजस्थान में हर साल देश और दुनिया के कोने-कोने से हजारों सैलानी आते हैं और यहां का लुफ्त उठाते हैं। राजस्थान आने वाले पर्यटक जयपुर जरूर आते हैं और जयपुर आने के बाद सिटी पैलेस का रूख निश्चित रूप से करते हैं।

सिटी पैलेस गए बिना जयपुर की यात्रा पूरी नहीं होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां मौजूद है दुनिया का सबसे बड़ा कलश। इस वृहद गंगाजली कलश को देखने के लिए यहां दूर-दूर से सैलानी आते हैं। इस कलश की ऊंचाई 5 फ़ीट 3 इंच है और इसकी गोलाई है 14 फ़ीट 10 इंच।

बता दें 345 किलोग्राम वजन के इस कलश को चांदी से बनाया गया है। आज तक शायद ही किसी ने इतने बड़े कलश को अपनी जिंदगी में देखा होगा।

यहां आने वाले पर्यटक इस कलश को कई देर तक निहारते रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाराजा सवाई माधो सिंह ने इस कलश को बनाने की मांग की थी।

उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए साल 1894 में उनके आदेशानुसार शाही खजाने से करीबन 14000 चांदी के सिक्कों को आग में तपाकर इस कलश का निर्माण किया गया था।

14000 चांदी के सिक्कों को आग में पिघलाकर उसकी एक बड़ी सी शीट बनाई गई। इसके बाद चांदी के इस शीट को लकड़ी के एक कलशनुमा सांचे के साथ पीट-पीटकर उसे कलश का आकार दे दिया गया।

बता दें शाही कारख़ाने में इस कलश को बनाने की पूरी प्रक्रिया की गई और इसमें लगभग दो साल लगे थे। ये गंगाजली कलश साल 1902 में दुनिया की नजर में उस वक्त आई जब इसे इंडिया से ब्रिटेन ले जाया गया। इसमें सबसे खास बात ये थी कि इसे जिस जहाज से ब्रिटेन रवाना किया गया था, उसे गंगाजल से धुला गया था। आपको बता दें कि अपनी खूबसूरती और कलाकारी के चलते इस कलश का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में भी दर्ज है।