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गर्भावस्था की किस तिमाही में क्या खाएं और क्या नहीं, यहां जानिए जरूरी बातें

Diet in Pregnancy: गर्भावस्था में मां और गर्भस्थ शिशु के लिए डाइट की भूमिका अहम होती है। गर्भावस्था के दौरान डाइट ऐसी होनी चाहिए जो गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए आवश्यक जरूरतें पूरी कर सके। इसके लिए गर्भवती महिला की डाइट पर पहली तिमाही से ही ध्यान देना बेहद जरूरी है। हर तिमाही में अलग-अलग तरह के पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है, इसलिए उन पोषक तत्त्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-

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जयपुर

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Jyoti Kumar

Aug 08, 2023

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Diet in Pregnancy: गर्भावस्था में मां और गर्भस्थ शिशु के लिए डाइट की भूमिका अहम होती है। गर्भावस्था के दौरान डाइट ऐसी होनी चाहिए जो गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए आवश्यक जरूरतें पूरी कर सके। इसके लिए गर्भवती महिला की डाइट पर पहली तिमाही से ही ध्यान देना बेहद जरूरी है। हर तिमाही में अलग-अलग तरह के पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है, इसलिए उन पोषक तत्त्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-

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पहली तिमाही में ये लें

1. फोलिक एसिड : इससे गर्भस्थ शिशु के ब्रेन व स्पाइनल कॉर्ड का विकास होता है। 600 माइक्रोग्राम प्रतिदिन फोलिक एसिड लेना चाहिए। हरी सब्जियां, बीन्स, नट्स, बीटरूट आदि खाएं।

2. प्रोटीन : यह मांसपेशियों का विकास करता है और यूटराइन मसल्स के लिए भी जरूरी होता है। गर्भवती को 75 ग्राम प्रोटीन रोज जरूरत होती है। डेयरी प्रोडक्ट, दालें, अंकुरित अनाज ज्यादा लें।

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3. कैल्शियम : प्रेग्नेंसी में एक हजार मिग्रा. प्रतिदिन कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है। यह दूध से बनी चीजों से मिलता है। कई सीड्स, रागी, राजगीरे के आटे में यह अधिक होता है।

4. आयरन : प्रतिदिन 27 मिग्रा. आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर नियंत्रित रखता है। इससे ब्लड बढ़ता है। यह सूखे मेवों, गुड़, हरी सब्जियों, फलियों आदि से मिलता है।

5. विटामिन सी : प्रतिदिन 85 मिग्रा. विटामिन सी हड्डियों व उत्तकों के विकास के लिए जरूरी होता है। सिट्रस फ्रू ट्स, आंवला, फलों के जूस से पूर्ति हो सकती है।

6. पोटैशियम : रक्तचाप व फ्लूड की मात्रा नियंत्रित करने के लिए जरूरी होता है। जरूरी ओमेगा 3 फैटी एसिड के लिए सूखे मेवे, बादाम, अखरोट आदि लें।

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दूसरी तिमाही में एनीमिया से बचाव के लिए आयरन लें
फ्लूड की कमी न हो, इसके लिए पानी, छाछ, नारियल पानी, जूस, लेमन वाटर लें।
इसमें गर्भाशय का आकार बढ़ता है तो प्रोटीन डाइट पर ध्यान दें। कैल्शियम की आवश्यकता 1300 मिग्रा हो जाती है।
इसमें फोलेट तत्त्वों का सेवन भी जरूरी है। यह होने वाले शिशु को मेंटल डिसऑर्डर से बचाता है। 400-800 माइक्रोग्राम तक जरूरत पड़ती है। विटामिन डी भी जरूरी है।

तीसरी तिमाही में पोषक तत्त्व
इसमें मैग्नीशियम भी जरूरी है जो शरीर में क्रैम्प्स (ऐंठन) प्री-टर्म लेबर से बचाता है। यह जौ, ओट्स और बीन्स से मिलता है। यह 350-400 मिग्रा प्रतिदिन जरूरी है। विटामिन सी, डी, बी 6, बी 12 भी जरूरी हैं।

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।