7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दुनिया में 73 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार, जानें कैसे लोगों से मुंह से निवाला छीन रहे ये युद्ध

Starvation: 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस पर एक चिंता में डाल देने वाली रिपोर्ट सामने आई है। UN की रिपोर्ट के मुताबिक बीते दशक में कुपोषण और भूख की समस्या बढ़ गई है, युद्धों को इसका कारण बताया गया है, आखिर ये जंग कैसे लोगों का निवाला छीन रही हैं इस पर वरिष्ठ पत्रकार स्वतंत्र जैन की रिपोर्ट

3 min read
Google source verification
73 crore people in starvation in world due to War

Starvation: दुनिया भर में चल रहे संघर्ष आम लोगों के पेट पर भारी पड़ रहे हैं। इस समय विश्व में अलग-अलग स्थानों पर 56 युद्ध-संघर्ष-टकराव (War) के हालात बने हुए हैं और इस साल करीब 73.3 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हो सकते हैं। यदि दुनिया में परस्पर संघर्ष-टकराव की स्थिति नहीं सुधरी तो भुखमरी का संकट और बढ़ सकता है। पिछले दिनों जारी हुईं दो अहम रिपोर्ट्स (WFO रिपोर्ट और World Peace Index रिपोर्ट) को एक साथ पढ़ने से साफ है कि दुनिया में जैसे-जैसे संघर्ष और टकराव के क्षेत्र बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे भुखमरी का सामना करने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है।

दुनिया भर में बढ़ते संघर्ष सबसे बड़े कारण

संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड ऑर्गनाइजेशन (WFO) ने नवीनतम रिपोर्ट में कहा है 2023 में 33 करोड़ लोगों को गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा। इसी रिपोर्ट में यह भी अनुमान जताया गया था कि 2024 में भुखमरी के शिकार इन लोगों की संख्या बढ़कर 73.3 करोड़ होने का अनुमान है। रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर वैश्विक स्तर पर भुखमरी बढ़ने का एक प्रमुख कारण दुनिया भर में बढ़ते हुए संघर्षों को रेखांकित किया गया है।

शांति पर संकट पेट के लिए भारी

इस साल (2024) की वर्ल्ड पीस इंडेक्स रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में शांति को खतरा बढ़ा है। इस समय दूसरे विश्व युद्ध के बाद से सबसे अधिक 56 संघर्ष-टकरावों से जूझ रही है। इन टकरावों का दायरा नए इलाकों को चपेट में ले रहा है। मौजूदा समय में 92 देश अपनी सीमाओं से परे संघर्षों में उलझे हुए हैं। 2022 में जहां दुनिया की शांति में 0.46 प्रतिशत की गिरावट आई थी, वहीं 2023 में यह गिरावट 0.56 फीसदी तक पहुंच गई। शांति पर संकट सीधे सीधे-सीधे पेट के लिए चुनौती बन रहा है। दिलचस्प है कि 2015 से पहले पीस इंडेक्स में सुधार हुआ था लेकिन पिछले दशक में संघर्ष बढ़ने से भूख और कुपोषण की समस्या बढ़ी है।

...तो हो जाएगी बड़ी समस्या

दुनिया में इस समय रूस-यूक्रेन और पश्चिम एशिया में प्रत्यक्ष युद्ध छिड़ा हुआ है। यूक्रेन में युद्ध और कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में 11.9 करोड़ लोग अतिरिक्त कुपोषण का शिकार हो गए जिनसे बचा जा सकता था। डब्ल्यूएफओ की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के हालात यथावत रहे तो 2030 तक 60 करोड़ लोग दीर्घकालिक भुखमरी का शिकार हो जाएंगे, यानी वह जीवनपर्यंत अपनी पूरी क्षमताओं को साकार नहीं कर सकेंगे। खास बात यह है कि यूएन सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव पारित कर भुखमरी संकट का सबसे बड़ा कारण संघर्षाें को माना लेकिन इस कारण को दूर करने के प्रयास कारगर साबित नहीं हो रहे।

संघर्षरत क्षेत्रों में ही हैं 65% प्रभावित

दुनिया के 10 में से 8 सर्वाधिक भीषण खाद्य संकट युद्ध के कारण ही पैदा हुए हैं। डब्ल्यूएफओ के मुताबिक युद्ध के कारण बुनियादी ढांचा नष्ट होता है और कृषि तथा व्यापार के लिए स्थितियां प्रतिकूल हो जाती हैं। बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जमीन और कारोबार से विस्थापित होना पड़ता है। सिर्फ 2023 में ही 11 करोड़ लोग संघर्षों के कारण विस्थापित हुए। इसका नतीजा भुखमरी और कुपोषण के रूप में सामने आया। दुनिया में सर्वाधिक भुखमरी के शिकार 65 फीसदी लोग संघर्षरत क्षेत्रों में ही निवास कर रहे हैं। युद्ध के चलते खाद्यान्न और ऊर्जा की बढ़ती कीमतें तथा बढ़ती वित्तीय बाधाओं के कारण वैश्विक आबादी के पांचवें हिस्से के लिए भुखमरी का खतरा बढ़ गया है।

भूख खत्म करने के लिए शांति पथ जरूरी

वर्ल्ड फूड ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक जब तक दुनिया में स्थिरता आएगी, तब तक भूख रहित हालात पैदा नहीं हो सकते। इसलिए दुनिया में भूख खत्म करने के लिए शांति के मार्ग तैयार करने होंगे।

ये भी पढ़ें- अमेरिका चुनाव से पहले ईरान पर हमला करेगा इजरायल! बाइडेन और नेतन्याहू ने बनाया ये ‘मेगा प्लान’