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मध्य एशिया में हुआ एक ऐसे नए धर्म का उदय, जिसका कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं, कई और वजहों से बटोर रहा सुर्खियां

अब्राहमिक के जरिए एक ऐसे धर्म का निर्माण करने की तैयारी है, जिसका कोई ग्रंथ न हो और न ही कोई फॉलोवर और अस्तित्व। इसका नाम पैगंबर अब्राहम के नाम पर रखा गया है। कई लोग अब्राहमिक धर्म के विचार और प्रचार-प्रसार के विरोध में हैं।

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Ashutosh Pathak

Nov 23, 2021

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नई दिल्ली।

मध्य एशिया में एक नए धर्म का उदय हो रहा है और यह खूब सुर्खियां बटोर रहा है। दिलचस्प यह है कि इस धर्म का कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है और न ही फिलहाल कोई इसे मानने वाला अनुयाई हैं।

यही नहीं, अब तक इस धर्म के अस्तित्व को लेकर आधिकारिक घोषणा भी नहीं हुई है। मीडिया रिपोर्ट में इस धर्म को अब्राहमिक कहा जा रहा है और इसे धार्मिक प्रोजेक्ट की तरह देखा जा रहा है। यह धर्म ईसाई, इस्लाम और यहूदी का मिश्रण है। इसका नाम पैगंबर अब्राहम के नाम पर रखा गया है। इस धर्म में इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्म की सामान्य बातें शामिल हैं।

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इस नए धर्म की चर्चा अरब देशों में बीते एक साल से हो रही है और तभी से इस पर तमाम तरह के विरोध भी शुरू हो गए हैं। अब्राहमिक के जरिए एक ऐसे धर्म का निर्माण करने की तैयारी है, जिसका कोई ग्रंथ न हो और न ही कोई फॉलोवर और अस्तित्व। इस धार्मिक प्रोजेक्ट का उद्देश्य तीनों धर्मों के आपसी मतभेदों को खत्म कर दुनिया में शांति स्थापित करने का है।

हालांकि, कई लोग अब्राहमिक धर्म के विचार और प्रचार-प्रसार के विरोध में हैं। उनका मानना है कि यह धोखे और शोषण की आड़ में एक राजनीतिक चाल है। इस नए धर्म का उद्देश्य अरब देशों के साथ इजराइल के संबंधों को बढ़ाना है।

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बता दें कि अब्राहमिया शब्द का इस्तेमाल सितंबर 2020 में संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई और बहरीन के साथ इजराइल के एक समझौते पर हस्ताक्षर के साथ शुरू हुआ था। इससे पहले, पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उनके सलाहकार जेरार्ड कुशनेर की ओर से प्रायोजित इस समझौते को 'अब्राहमियन समझौता' बताया जा रहा है।