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खुशखबरी: अल्ज़ाइमर के इलाज और जांच में नई उम्मीद, अमेरिका में दवाइयां दे रही हैं राहत की किरण

Alzheimer Treatment Update: हाल ही में अल्ज़ाइमर के इलाज के लिए दो नई दवाएं और एक ब्लड टेस्ट सामने आया है।

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भारत

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MI Zahir

Sep 20, 2025

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अल्जाइमर के मरीजों के इलाज की नई उम्मीद। (फोटो: X Handle Danielle Beckman.)

Alzheimer Treatment Update: दुनिया भर में अल्ज़ाइमर रोग के इलाज (Alzheimer treatment) के लिए अरबों डॉलर खर्च किए गए हैं, लेकिन अब तक कोई पक्का इलाज सामने नहीं आया। हाल ही में दो नई दवाइयां और एक नवीनतम ब्लड टेस्ट (Alzheimer blood test) इस जटिल बीमारी से लड़ने की एक नई आशा लेकर आए हैं। हालांकि इनकी प्रभावशीलता को लेकर विशेषज्ञों में अभी भी सवाल उठ रहे हैं। अमेरिकी कंपनियों एली लिली और बायोजेन की ओर से बनाई गई दो दवाइयां ' डोनानेमाब और लेकेनेमाब ' अल्ज़ाइमर (Early diagnosis Alzheimer’s) की प्रगति धीमी करने का दावा करती हैं। ये दवाइयां (Alzheimer’s new drugs) बीमारी के शुरुआती चरणों में दी जाती हैं और इसका असर सीमित समय तक ही दिखता है।

ये दवाइयां बहुत महंगी हैं

हालांकि ये दवाइयां बहुत महंगी हैं और इनके साइड इफेक्ट्स भी गंभीर हो सकते हैं, जैसे मस्तिष्क में रक्तस्राव (ब्रेन हेमरेज)। यही वजह है कि कई देशों ने इन पर अलग-अलग निर्णय लिए हैं। अमेरिका में इन्हें मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों ने इन्हें अपनी बीमा प्रणाली में शामिल नहीं किया है, क्योंकि उनके मुताबिक ये दवाएं अपनी कीमत के मुकाबले पर्याप्त फायदा नहीं देतीं।

नई जांच: क्या ब्लड टेस्ट से अल्ज़ाइमर का जल्दी पता चलेगा ?

पहले अल्ज़ाइमर की जांच के लिए कमर में सूई लगा कर लिक्विड निकालना पड़ता था, जिसे 'लम्बर पंक्चर' कहते हैं। यह तरीका न केवल महंगा था, बल्कि तकलीफदेह भी था। अब एक नया ब्लड टेस्ट विकसित किया गया है, जो रोग के 'बायोमार्कर' यानी जैविक संकेतकों का पता लगा सकता है।

विस्तृत जांच की जरूरत

अमेरिका में इस ब्लड टेस्ट को मान्यता मिल चुकी है, लेकिन यूरोप में अब भी इसे लेकर संदेह है। यूरोपीय विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल बायोमार्कर से अल्ज़ाइमर का पूरा और सही निदान नहीं किया जा सकता। उनके अनुसार अभी भी मानसिक और कार्यक्षमता से जुड़ी विस्तृत जांच की जरूरत है।

रोकथाम है असली कुंजी ?

हाल के बरसों में शोध से पता चला है कि जीवनशैली की खराब आदतें जैसे मोटापा, धूम्रपान, शराब सेवन, शारीरिक निष्क्रियता और सुनने की समस्या, अल्ज़ाइमर का खतरा बढ़ा सकती हैं।

लगभग 50% मामलों में कारकों की भूमिका

‘द लैंसेट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 50% मामलों में इन कारकों की भूमिका हो सकती है। यही वजह है कि अब विशेषज्ञ इस बात की ओर ध्यान दे रहे हैं कि लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए कैसे प्रेरित किया जाए।

मरीजों की मानसिक स्थिति में थोड़ी बहुत गिरावट

हालांकि अभी तक किए गए प्रयोगों में यह स्पष्ट असर नहीं दिखा कि जीवनशैली में सुधार करने से अल्ज़ाइमर को रोका जा सकता है। फिर भी, हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि दो साल तक गाइडेंस और सपोर्ट लेने वाले मरीजों की मानसिक स्थिति में थोड़ी बहुत गिरावट जरूर कम हुई।

आशा और सच्चाई के बीच संतुलन जरूरी

अल्ज़ाइमर जैसी जटिल बीमारी में हालिया प्रगति जरूर राहत देती है, लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि अब इसका इलाज मिल गया है। जहां नई दवाएं कुछ राहत देती हैं, वहीं उनका असर सीमित और साइड इफेक्ट्स गंभीर हो सकते हैं।

यह अंतिम समाधान नहीं है

बहरहाल ब्लड टेस्ट से जल्द निदान संभव है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल एक कदम है, अंतिम समाधान नहीं है। लंबे समय तक चलने वाले शोध और प्रयास ही बताएंगे कि क्या ये दवाएं और जीवनशैली में बदलाव वास्तव में अल्ज़ाइमर के खिलाफ असरदार हथियार बन सकते हैं।