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“अमेरिका को भारत की ज़रूरत”, पूर्व अमेरिकी अधिकारी का बड़ा बयान

अमेरिका की एक पूर्व अधिकारी ने भारत से संबंधों पर एक बड़ी बात कह दी है। किसने और क्या कहा भारत-अमेरिका संबंधों के विषय में? आइए नज़र डालते हैं।

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भारत

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Tanay Mishra

Sep 03, 2025

Mary Kissel

Mary Kissel (Photo - Washington Post)

डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के 'टैरिफ वॉर' की वजह से भारत (India) और अमेरिका (United States Of America) के संबंधों में दरार पड़ गई है। ऐसा करके ट्रंप अपने ही देश में घिर गए हैं। अमेरिका के कई पूर्व मंत्री, अधिकारी और एक्सपर्ट्स, अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले को गलत बता रहे हैं। अब एक और पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने ट्रंप के भारत से संबंधों को बिगाड़ने के विषय पर बात करते हुए अमेरिका के लिए भारत को ज़रूरी बताया है। हाल ही में पूर्व अमेरिकी विदेश विभाग सलाहकार मैरी किसेल (Mary Kissel) ने इस बारे में एक बड़ा बयान दिया है।

"अमेरिका को भारत की ज़रूरत"

मैरी ने एक इंटरव्यू के दौरान भारत के विषय में बात करते हुए कहा, "इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना करने के लिए अमेरिका को भारत की ज़रूरत है। अगर अमेरिका वास्तव में चीन को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है, तो भारत का साथ बेहद ज़रूरी है। हम अकेले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का मुकाबला नहीं कर सकते। हमें इसके लिए भारत की ताकत की ज़रूरत है।"

भारत से दूरी अमेरिका के लिए नुकसानदायक

मैरी ने टैरिफ मामले पर भारत-अमेरिका में बनी दूरी को अमेरिका के लिए नुकसानदायक बताया है। मैरी ने कहा, "चीन की बढ़ती आक्रामकता के दौर में भारत से दूरी बनाना, अमेरिका के लिए नुकसानदायक हो सकता है। भारत का रणनीतिक महत्व सिर्फ आर्थिक या सैन्य ताकत तक सीमित नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक व्यापार में भी है।"

पीएम मोदी और जिनपिंग का साथ आना ट्रंप के लिए चुनौती

एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के साथ आने पर भी मैरी ने बयान दिया। मैरी ने कहा, "एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और जिनपिंग का साथ आना ट्रंप के लिए एक बड़ी चुनती है। चीन के साथ भारत की कूटनीतिक साझेदारी बढ़ने से अमेरिका के लिए इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती ताकत को संतुलित करना मुश्किल होगा। चीन के साथ कूटनीतिक संबंधों से भारत को तो फायदा मिलेगा, लेकिन अमेरिका को इससे सिर्फ नुकसान ही होगा।"