
बांग्लादेश के नेता शरीफ उस्मान हादी, जिन्हें गोली मारी गई। (फोटो : X Handle/ Kinophile)
Sharif Usman Hadi Shooting: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों (Bangladesh Election 2026) से पहले राजनीति में आग लग गई है। जैसे ही चुनाव की तारीखें घोषित हुईं, वैसे ही हिंसा की घटनाएं शुरू हो गईं। सबसे चौंकाने वाली खबर ढाका (Dhaka Political Violence) से आई, जहां एक प्रमुख नेता पर बीच बाजार में गोली चला दी गई। यह नेता कोई और नहीं, शरीफ उस्मान हादी (Sharif Usman Hadi Shooting) हैं, जो शेख हसीना के कट्टर विरोधी (Sheikh Hasina Critic) माने जाते हैं। भारत के लिहाज से देखें तो यह घटना हमें सतर्क करती है, क्योंकि बांग्लादेश की अस्थिरता का असर हमारे बॉर्डर पर भी पड़ता है।
यह घटना 12 दिसंबर 2025 की दोपहर की है। ढाका के व्यस्त इलाके बिजॉयनगर में शरीफ उस्मान हादी जुमे की नमाज अदा कर के रिक्शे पर हाईकोर्ट की तरफ जा रहे थे। अचानक हेलमेट पहने दो युवक मोटरसाइकिल पर आए और पास आकर हादी के सिर में करीब से गोली मार दी। गोली दाहिनी तरफ से घुसी और बाईं तरफ से निकल गई, गोली के कुछ टुकड़े उनके दिमाग में फंस गए। हमलावर चंद सेकंड में फरार हो गए। पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई, जो यह दिखाता है कि यह कोई आम झगड़ा नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश है। पुलिस को शक है कि हमलावर पूरे दिन हादी का पीछा कर रहे थे।
हादी को फौरन ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उनकी हालत इतनी गंभीर थी कि दो बार दिल की धड़कन रुक गई। दिमाग में सूजन और प्रेशर बढ़ने की वजह से डॉक्टरों ने उन्हें एवरकेयर हॉस्पिटल शिफ्ट कर दिया, जहां वो वेंटिलेटर पर हैं। डॉक्टर कह रहे हैं कि अगले 72 घंटे बहुत नाजुक हैं। उधर, अंतरिम सरकार ने एक संदिग्ध आरोपी की फोटो जारी की है, और उसके पकड़े जाने पर 50 लाख टका इनाम का ऐलान किया है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज से हमलावरों की तलाश कर रही है।
अब इसका थोड़ा बैकग्राउंड समझिए। शरीफ उस्मान हादी इंकलाब मंच के प्रवक्ता हैं, जो 2024 के छात्र आंदोलन में बड़ा रोल प्ले कर चुके हैं। उस आंदोलन ने शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया था, और वो भारत में शरण ले चुकी हैं और देश की सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है। हादी ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार बनने वाले थे। वो अवामी लीग को बैन करने की जोर-शोर से मांग उठाते थे। यह आम नियम है कि चुनाव से पहले किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है तो उस निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव स्थगित कर दिए जाते हैं। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले यह हमला कई सवाल खड़े कर रहा है – क्या यह राजनीतिक दुश्मनी का नतीजा है? या चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश है? कयास लगाया जा रहा है कि हसीना विरोधी किसी नेता ने यह हमला करवा कर एक ही तीर से कई निशाने लगाए हों, ताकि हसीना को कठघरे में खड़े करने का एक और मौका मिल जाए।
भारत के लिहाज से देखें तो बांग्लादेश में बढ़ती अराजकता बहुत चिंता की बात है। हसीना के जाते ही वहां कट्टरपंथी ताकतें सक्रिय हो गई हैं और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए हैं। चुनावी हिंसा अगर यूं ही चलेगी तो बॉर्डर पर शरणार्थियों का खतरा बढ़ सकता है। बीएनपी आर जमात-ए-इस्लामी जैसी पार्टियों ने इस हमले की निंदा की है और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की है। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने भी इसे अस्वीकार्य बताया और जांच करवाने के आदेश दिए हैं।
बहरहाल, यह घटना बताती है कि बांग्लादेश में लोकतंत्र की राह अभी कितनी मुश्किल है। छात्रों की क्रांति के बाद उम्मीदें थीं कि सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसी वारदातें डर पैदा कर रही हैं। उम्मीद है हादी जल्द ठीक हो जाएं और हमलावर पकड़े जाएं। भारत को भी पड़ोसी की इस उठापटक पर नजर रखनी होगी, क्योंकि हमारी सुरक्षा भी इससे जुड़ी हुई है। क्या लगता है आपको, यह हिंसा चुनाव तक और बढ़ेगी? कमेंट में बताइए!
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Published on:
13 Dec 2025 08:28 pm
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