
Mohammad Yunus and Sheikh Hasina
Bangladesh Economy: बांग्लादेश में अगस्त महीने में हुए तख्तापलट, राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसात्मक घटनाओं का असर उसकी आर्थिक स्थिति पर भी पड़ रहा है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 3 अरब डॉलर की अतिरिक्त मदद की मांग की थी। बांग्लादेश को पहले ही 4.7 अरब डॉलर का कर्ज मिल चुका है, जिसमें से तीन किस्तें उसकी सरकार के खाते में आ चुकी हैं। इन कठिन हालातों के बावजूद बांग्लादेश के बारे में अनुमान जताया जा रहा है कि भविष्य में वह दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
आईएमएफ ने 2025 के लिए बांग्लादेश की विकास दर में 3.8 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान जताया है, जबकि पहले अक्टूबर में इसने 4.5 फीसदी का अनुमान दिया था। इनसाइडर मंकी की रिपोर्ट के अनुसार, अगले 51 सालों में बांग्लादेश और भारत दोनों दुनिया की दस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश का हिस्सा दुनिया की कुल जीडीपी में 1.57 फीसदी होगा। वर्तमान में बांग्लादेश की जीडीपी 437 अरब डॉलर है, जो उसे दुनिया में 34वें और एशिया में 11वें स्थान पर रखती है। रिपोर्ट में अनुमान है कि 2075 तक बांग्लादेश की जीडीपी 5.09 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी और वह दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
पाकिस्तान की स्थिति कुछ हद तक कमजोर रहेगी। 51 साल बाद भी वह भारत और बांग्लादेश से पीछे रहेगा। 2075 तक पाकिस्तान की जीडीपी 2.66 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी, जिससे वह 25वें स्थान पर होगा। वर्तमान में पाकिस्तान की जीडीपी 377 अरब डॉलर है और यह 41वें स्थान पर है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर निर्भर है, लेकिन अब वहां तेजी से औद्योगिकीकरण हो रहा है।
बांग्लादेश ने आईएमएफ से 4.7 अरब डॉलर का कर्ज लिया है, जिसमें से अब तक 2.3 अरब डॉलर की तीन किस्तें उसे मिल चुकी हैं। जनवरी 2023 में आईएमएफ ने इस कर्ज को मंजूरी दी थी, लेकिन अगस्त में शेख हसीना के सत्ता से हटने के तुरंत बाद नई सरकार ने 3 अरब डॉलर के अतिरिक्त कर्ज की मांग की। हालांकि, आईएमएफ ने 1 अरब डॉलर को मंजूरी दी, लेकिन यूनुस सरकार ने 3 अरब डॉलर के कर्ज की मांग को लेकर अडिग रही।
राजनीतिक संकट और आर्थिक चुनौतियां: बांग्लादेश में अगस्त में हुई राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा ने देश को कई आर्थिक और सामाजिक समस्याओं में डाल दिया है। हिंसात्मक घटनाओं में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हमले हुए, और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया। जब भारत ने इन घटनाओं पर आपत्ति जताई, तो बांग्लादेश सरकार ने न केवल इसे नजरअंदाज किया, बल्कि आलोचनाओं के बावजूद सख्त तेवर अपनाए, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई।
इस उथल-पुथल के परिणामस्वरूप बांग्लादेश में आलू, प्याज, चीनी, दाल, चावल और कपड़े जैसी बुनियादी जरूरतों की किल्लत शुरू हो गई। भारत बांग्लादेश को 90 से ज्यादा वस्तुएं निर्यात करता है और बांग्लादेश की आर्थिक समस्याएं और बढ़ सकती हैं। इसके साथ ही बांग्लादेश पर झारखंड और त्रिपुरा से बिजली की आपूर्ति का बकाया बिल भी है, जो सौ करोड़ रुपये से अधिक है। त्रिपुरा का 200 करोड़ रुपये और झारखंड में अडानी पावर का 680 करोड़ रुपये का बिल बांग्लादेश को चुकाना है।
Published on:
25 Dec 2024 06:40 pm
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