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सिलिकॉन वैली के तेजी से उभरते एआई कोडिंग स्टार्टअप ‘कर्सर’ के 25 वर्षीय सीईओ माइकल ट्रुएल ने एआई आधारित सॉफ्टवेयर डवलपमेंट को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। न्यूयॉर्क में आयोजित फॉर्च्यून ब्रेनस्टॉर्म एआई कॉन्फ्रेंस में ट्रुएल ने कहा कि यदि डवलपर्स आंख मूंदकर एआई पर निर्भर होकर जटिल सॉफ्टवेयर कोड लिखते हैं, तो यह मजबूत तकनीक के बजाय कमजोर नींव पर बड़ी इमारत खड़ी करने जैसा है। उन्होंने इस प्रवृत्ति को ‘वाइब कोडिंग’ का नाम दिया, जिसमें डवलपर कोड को समझे या जांचे बिना पूरा काम एआई पर छोड़ देते हैं।
ट्रुएल ने उदाहरण देते हुए कहा कि किसी घर में केवल दीवारें और छत बना देने से वह सुरक्षित नहीं हो जाता, जब तक उसकी फाउंडेशन, वायरिंग और प्लंबिंग की सही जांच न हो। शुरुआती स्तर पर सब कुछ ठीक दिख सकता है, लेकिन जैसे-जैसे सॉफ्टवेयर जटिल होता है, वैसे-वैसे जोखिम, बग्स, सिक्योरिटी खामियां और मेंटेनेंस की समस्याएं बढ़ने लगती हैं। उनके मुताबिक, वाइब कोडिंग छोटे प्रोटोटाइप तक सीमित रह सकती है, पर बड़े और गंभीर एप्लिकेशनों के लिए यह खतरनाक साबित होती है।
यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब एआई कोडिंग इंडस्ट्री में तेजी से अपनाई जा रही है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के अनुसार, कंपनी में 30 प्रतिशत से अधिक नया कोड एआई से जनरेट हो रहा है। वहीं एंथ्रोपिक के सीईओ डारियो अमोडी का दावा है कि क्लॉड 90 प्रतिशत तक कोड तैयार करता है। हालांकि ट्रुएल ने साफ किया कि एआई-असिस्टेड कोडिंग, जिसमें डवलपर सक्रिय रूप से कोड को समझता और रिव्यू करता है, फायदेमंद है, जबकि वाइब कोडिंग लंबे समय में नुकसानदेह।
ट्रुएल की बातों से अन्य विशेषज्ञ भी सहमत हैं। एंथ्रोपिक के क्लॉड एप के कोड क्रिएटर बोरिस चेर्नी ने माना कि वाइब कोडिंग तात्कालिक काम के लिए ठीक है, लेकिन मेंटेनेबल कोड के लिए नहीं। ओपनएआइ के सह-संस्थापक आंद्रेज कार्पाथी ने भी हाल ही में अपना प्रोजेक्ट नैनोचैट पूरी तरह हैंड-कोड किया। एमईटीआर के एक अध्ययन में एआइ कोडिंग से अनुभवी डवलपर्स की उत्पादकता 19 प्रतिशत घटने की बात सामने आई है, जबकि बेन कंपनी के सर्वे में एआइ से असाधारण लागत की बचत नहीं पाई गई।
Updated on:
30 Dec 2025 01:47 am
Published on:
30 Dec 2025 01:46 am
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