
भारत में हुए जी20 सम्मेलन की अपूर्व सफलता से चीन और पाकिस्तान में बौखलाहट और कुलबुलाहट अब छिप नहीं रही। जी20 सम्मेलन में अब तक जो कभी नहीं हुआ था, वो भारत ने कर दिखाया। आमतौर से इस प्रकार के सालाना शिखर सम्मेलन के अंत में घोषणा पत्र जारी किया जाता है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि इस पर सहमति का एलान पहले दिन ही कर दिया गया। चीन चाहकर भी नई दिल्ली घोषणापत्र का विरोध नहीं कर पाया। वह भी तब जबकि जी20 के मंच से लिए गए फैसलों से चीन के हितों पर सीधी चोट पहुंची है। कोई हैरानी नहीं कि जी20 में शिरकत करने भारत आए चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग भले ही भारत में समावेशी विकास की बातें करके गए हों, लेकिन चीनी रक्षा मंत्रालय से जुड़े चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशंस ने भारत में आयोजित जी20 सम्मेलन पर सवाल उठाए हैं। इंस्टीट्यूट ने कहा है कि जी20 मंच की मेजबानी का उपयोग भारत अपने हितों को बढ़ाने और चीन को नुकसान पहुंचाने के लिए कर रहा है।
चीन को लगीं पांच चोटें
जी20 के मंच पर चीन को सबसे बड़ी चोट तब लगी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा शुरू करने की योजना की घोषणा की, जिसमें भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमरीका शामिल हैं। खाड़ी देशों और यूरोप को भारत से जोड़ने वाले इस गलियारे को चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआइ) का विकल्प माना जा रहा है। गौरतलब है कि इस आर्थिक गलियारे में वो इटली भी है जिसने हाल में चीन के बीआरआइ प्रोजेक्ट से बाहर आने की घोषणा की थी।
दूसरा, इसके अलावा नई दिल्ली में अफ्रीकन यूनियन को भी जी 20 का सदस्य बनाया गया। इस तरह अफ्रीकी देशों को चीनी कर्ज के जाल से बाहर निकलने का एक मंच बन गया है।
तीसरा, चीन लंबे समय से अफ्रीकी देशों में अपना दखल बढ़ाकर ग्लोबल साउथ की आवाज बनने की कोशिश कर रहा था। लेकिन भारत ने जिस तरह से ग्लोबल साउथ के देशों को जी20 के मंच पर कर्ज लेने वाले की तरह नहीं बल्कि मित्रवत जगह दी, उससे चीन के ग्लोबल साउथ की आवाज बनने के प्रयासों को झटका लगा है।
चौथा, चीन कुछ समय से यूक्रेन के विवाद को सुलझाने के प्रयासों की मध्यस्थता करने में जुटा हुआ था, लेकिन भारत जी20 के मंच से यूक्रेन के मुद्दे पर इस तरह की आम सहमति बनाने में सफल रहा जिसकी रूस भी तारीफ कर रहा है। बाली के जी20 सम्मेलन में भी ऐसा नहीं हो सका था।
पांचवा, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बिना किसी कारण दिल्ली न आकर जी20 की महत्ता कम करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत ने सफलतापूर्वक जी20 के मंच से आम सहमति से घोषणापत्र जारी करके बता दिया कि शी जिनपिंग की उपस्थिति जी20 के आयोजनों की सफलता के लिए अनिवार्य नहीं है। इतना ही नहीं, चीन के विरोध बाद भी भारत ने अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में जी20 की मीटिंग सफलतापूर्वक रखीं, जी20 की थीम वसुधैव कुटंबकम को बनाए रखा। इस तरह से भारत का जी20 आयोजन चीन हितों को बढ़ा आघात देकर गया है।
पाकिस्तान को झटका
भारत-पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच कॉरिडोर के ऐलान ने पाकिस्तानियों को भी चिंता में डाल दिया है। इस कॉरिडोर में सऊदी अरब और यूएई के शामिल होने से उन्हें लग रहा है कि ऐसा होने के बाद पाकिस्तान वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर अलग-थलग पड़ जाएगा और भारत की पहुंच सीधे अरब देशों और यूरोप तक हो जाएगी।
Published on:
10 Sept 2023 11:29 pm
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