27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यमन में मौत का फरमान: निमिषा प्रिया की बच सकती है अब भी जान, ये है आखिरी उम्मीद

Nimisha Priya Death Penalty Case: भारत की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में हत्या के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई है।

2 min read
Google source verification

भारत

image

MI Zahir

Jul 16, 2025

Nimisha Priya Death Penalty Case

यमन में हत्या के आरोप में भारत की नर्स निमिषा प्रिया को सुनाई गई मौत की सज़ा अभी ​स्थगित कर दी गई है । ( फोटो: X Handle DT Next.)

Nimisha Priya Death Penalty Case: भारत की जिस नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya case) को यमन में हत्या के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई है, वह​ यमन में 17 साल बिता चुकी है। भारत सरकार और केरल के धर्मगुरु मिल कर ब्लड मनी के ज़रिये उनकी जान बचाने (Death penalty in Yemen) की कोशिश कर रहे हैं। भारत के केरल की नर्स (Indian nurse in Yemen) निमिषा प्रिया की यमन में फांसी टल गई है। वे सन 2008 में नर्स के रूप में यमन चली गई थीं और वहां उन्होंने शादी की, बेटी हुई और 2015 में उथल-पुथल भरे माहौल के बीच उन्होंने एक क्लिनिक खोला। सन 2016 में उनके सहयोगी ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और उन्हें परेशान किया। स्थानीय मदद न मिलने पर उन्होंने पासपोर्ट वापस पाने की कोशिश की, लेकिन एक दवा ने सबकुछ बदल दिया।

2017 की गिरफ्तारी और हत्या का आरोप

प्रिया के साथी की मौत के बाद उन्हें गैर इरादतन हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 2018 में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई, जबकि उनका पर्याप्त कानूनी बचाव नहीं हो पाया।

2020 से अब तक बचाव अभियान

'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' की ओर से उनकी फांसी 2025 तक स्थगित करवाई गई। यमन में अब अंतिम अपील भी खारिज हो चुकी है।

शरिया कानून के माध्यम से बचने की राह (Blood money Islamic law)

उनके परिवार ने 'दियाह' (ब्लड मनी) के तहत लगभग लगभग 33 लाख रुपये जुटाए। भारत सरकार, केरल धर्मगुरु 'ग्रैंड मुफ़्ती' कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार, और यमन में स्थानीय शेख इसमें मदद कर रहे हैं।

राजनयिक और धार्मिक हस्तक्षेप

भारत ने अनौपचारिक माध्यमों और धार्मिक नेता के माध्यम से यमन अधिकारियों को मनाया और 16 जुलाई की फांसी स्थगित करवाई गई है, लेकिन बचाव की लड़ाई अभी बाकी है।

पूरे देश में भावनात्मक लहर

केरल समेत पूरे देश में निमिषा प्रिया को बचाने की मुहिम ने भावनात्मक लहर पैदा कर दी है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और प्रवासी भारतीय समुदाय ने फांसी की सजा को क्रूर और असंवेदनशील बताते हुए यमन सरकार से दया की अपील की है। भारत सरकार के प्रयासों को जहां कुछ लोग सराह रहे हैं, वहीं कुछ इसे देर से किया गया कदम मानते हैं।

प्रिया के मामले में सुलगते सवाल

क्या यमन की हूती सरकार 'दियाह' (ब्लड मनी) के तहत अंतिम क्षमा देगी ?

क्या पीड़ित के परिवार से आधिकारिक माफीनामा प्राप्त हो गया है?

क्या भारत सरकार, खासतौर पर विदेश मंत्रालय, अब निमिषा को भारत लाने के लिए हू​तियों से सीधा संपर्क करेगा ?

यमन में फंसी अन्य भारतीय नर्सों और श्रमिकों की स्थिति पर कोई ठोस नीति क्यों नहीं है ?

भारत ने एक अनूठा परंपरागत रास्ता चुना

भारत और हूती शासित यमन के बीच सीधे राजनयिक संबंध न होने से संकट और गहरा हो जाता है। धार्मिक माध्यमों जैसे "ग्रैंड मुफ्ती" को शामिल कर भारत ने एक अनूठा परंपरागत रास्ता चुना है, जो भविष्य में अन्य मामलों के लिए नज़ीर बन सकता है।

पीड़ित के परिवार से बातचीत लगभग अंतिम दौर में

सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन कौंसिल Save Nimisha Priya International Action Council और यमन स्थित भारतीय समुदाय के कुछ स्वयंसेवकों ने पुष्टि की है कि पीड़ित के परिवार से बातचीत लगभग अंतिम दौर में है और अंतिम दस्तावेज़ों पर मुहर लगना बाकी है। उधर भारत सरकार ने ओमान के माध्यम से यमन से कूटनीतिक वार्ता तेज कर दी है।