
यमन में हत्या के आरोप में भारत की नर्स निमिषा प्रिया को सुनाई गई मौत की सज़ा अभी स्थगित कर दी गई है । ( फोटो: X Handle DT Next.)
Nimisha Priya Death Penalty Case: भारत की जिस नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya case) को यमन में हत्या के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई है, वह यमन में 17 साल बिता चुकी है। भारत सरकार और केरल के धर्मगुरु मिल कर ब्लड मनी के ज़रिये उनकी जान बचाने (Death penalty in Yemen) की कोशिश कर रहे हैं। भारत के केरल की नर्स (Indian nurse in Yemen) निमिषा प्रिया की यमन में फांसी टल गई है। वे सन 2008 में नर्स के रूप में यमन चली गई थीं और वहां उन्होंने शादी की, बेटी हुई और 2015 में उथल-पुथल भरे माहौल के बीच उन्होंने एक क्लिनिक खोला। सन 2016 में उनके सहयोगी ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और उन्हें परेशान किया। स्थानीय मदद न मिलने पर उन्होंने पासपोर्ट वापस पाने की कोशिश की, लेकिन एक दवा ने सबकुछ बदल दिया।
प्रिया के साथी की मौत के बाद उन्हें गैर इरादतन हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 2018 में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई, जबकि उनका पर्याप्त कानूनी बचाव नहीं हो पाया।
'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' की ओर से उनकी फांसी 2025 तक स्थगित करवाई गई। यमन में अब अंतिम अपील भी खारिज हो चुकी है।
उनके परिवार ने 'दियाह' (ब्लड मनी) के तहत लगभग लगभग 33 लाख रुपये जुटाए। भारत सरकार, केरल धर्मगुरु 'ग्रैंड मुफ़्ती' कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार, और यमन में स्थानीय शेख इसमें मदद कर रहे हैं।
भारत ने अनौपचारिक माध्यमों और धार्मिक नेता के माध्यम से यमन अधिकारियों को मनाया और 16 जुलाई की फांसी स्थगित करवाई गई है, लेकिन बचाव की लड़ाई अभी बाकी है।
केरल समेत पूरे देश में निमिषा प्रिया को बचाने की मुहिम ने भावनात्मक लहर पैदा कर दी है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और प्रवासी भारतीय समुदाय ने फांसी की सजा को क्रूर और असंवेदनशील बताते हुए यमन सरकार से दया की अपील की है। भारत सरकार के प्रयासों को जहां कुछ लोग सराह रहे हैं, वहीं कुछ इसे देर से किया गया कदम मानते हैं।
क्या यमन की हूती सरकार 'दियाह' (ब्लड मनी) के तहत अंतिम क्षमा देगी ?
क्या पीड़ित के परिवार से आधिकारिक माफीनामा प्राप्त हो गया है?
क्या भारत सरकार, खासतौर पर विदेश मंत्रालय, अब निमिषा को भारत लाने के लिए हूतियों से सीधा संपर्क करेगा ?
यमन में फंसी अन्य भारतीय नर्सों और श्रमिकों की स्थिति पर कोई ठोस नीति क्यों नहीं है ?
भारत और हूती शासित यमन के बीच सीधे राजनयिक संबंध न होने से संकट और गहरा हो जाता है। धार्मिक माध्यमों जैसे "ग्रैंड मुफ्ती" को शामिल कर भारत ने एक अनूठा परंपरागत रास्ता चुना है, जो भविष्य में अन्य मामलों के लिए नज़ीर बन सकता है।
सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन कौंसिल Save Nimisha Priya International Action Council और यमन स्थित भारतीय समुदाय के कुछ स्वयंसेवकों ने पुष्टि की है कि पीड़ित के परिवार से बातचीत लगभग अंतिम दौर में है और अंतिम दस्तावेज़ों पर मुहर लगना बाकी है। उधर भारत सरकार ने ओमान के माध्यम से यमन से कूटनीतिक वार्ता तेज कर दी है।
Published on:
16 Jul 2025 08:10 pm
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