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Dick Cheney: सद्दाम के पास हथियारों की बात बताने वाली शख्सियत “डार्थ वाडर”, जिसने अमेरिकी सत्ता का चेहरा बदल डाला

Dick Cheney: डिक चेनी ने इराक युद्ध और सद्दाम हुसैन के खिलाफ नीतियों से अमेरिकी सत्ता को नया रूप दिया, उनका 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

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भारत

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MI Zahir

Nov 04, 2025

Dick Cheney

अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रप डिक चेनी। (फोटो: वॉशिंगटन पोस्ट.)

Dick Cheney: अमेरिकी इतिहास के सबसे प्रभावशाली उपराष्ट्रपतियों में से एक इराक युद्ध के प्रबल समर्थक और सद्दाम हुसैन (Saddam Hussain) के खिलाफ आक्रामक नीतियों के प्रणेता डिक चेनी (Dick Cheney) का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके परिवार ने बताया कि सोमवार रात निमोनिया और हृदय रोग की जटिलताओं के कारण उनका निधन हुआ। उन्होंने 2001 से 2009 तक राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश (George W. Bush) के साथ मिल कर अमेरिकी सत्ता के गलियारों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। चेनी ने वॉटरगेट कांड के बाद कमजोर हुई राष्ट्रपति शक्तियों को फिर से मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनकी कहानी साहस, विवाद और दृढ़ संकल्प की मिसाल है।

सद्दाम हुसैन और इराक युद्ध: चेनी का विवादास्पद दांव

डिक चेनी का नाम 2003 के इराक युद्ध के साथ हमेशा जोड़ा जाएगा। उन्होंने दावा किया था कि इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन के पास सामूहिक विनाश के हथियार हैं, जो वैश्विक और अमेरिकी सुरक्षा के लिए खतरा हैं। चेनी ने यह भी कहा था कि इराक का अल-कायदा और 9/11 हमलों से संबंध हो सकता है। इस दावे ने युद्ध को मकसद दिया, लेकिन बाद में कोई हथियार नहीं मिले और 9/11 से संबंध की बात भी खारिज हो गई। चेनी ने भविष्यवाणी की थी कि अमेरिकी सैनिकों का इराक में "मुक्तिदाता" के रूप में स्वागत होगा, लेकिन युद्ध ने अमेरिका को एक दशक तक उलझाए रखा। फिर भी, चेनी ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि सद्दाम को सत्ता से हटाना जरूरी था। इस फैसले ने उन्हें वैश्विक मंच पर प्रशंसा और आलोचना दोनों दिलाई।

वॉटरगेट का सबक: सत्ता का पुनर्जनन

सन 1970 के दशक में वॉटरगेट कांड के कारण राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा और राष्ट्रपति की शक्तियों को कमजोर कर दिया। चेनी उस समय निक्सन और गेराल्ड फोर्ड प्रशासन में काम कर रहे थे, उन्होंने इस बदलाव को करीब से देखा। उप राष्ट्रपति बनने पर उन्होंने इस कमजोरी को दूर करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने उप राष्ट्रपति कार्यालय को राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में एक शक्तिशाली केंद्र बनाया, जो कई बार बुश प्रशासन के भीतर एक अलग शक्ति केंद्र की तरह काम करता था। उनकी यह रणनीति वॉटरगेट के बाद की सियासी सीमाओं को तोड़ने की कोशिश थी, लेकिन आलोचकों ने इसे सत्ता का दुरुपयोग करार दिया।

राजनीतिक यात्रा: निक्सन से बुश तक

नेब्रास्का के लिंकन में 30 जनवरी, 1941 को जन्मे डिक चेनी का बचपन साधारण रहा था। उनके माता-पिता डेमोक्रेट समर्थक थे, लेकिन चेनी अपने परिवार में पहले रिपब्लिकन बने। व्योमिंग विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की। वहीं सन 1969 में वाशिंगटन में एक प्रशिक्षु के रूप में काम शुरू किया। निक्सन और फोर्ड प्रशासन में काम करते हुए वे रक्षा सचिव डोनाल्ड रम्सफील्ड के करीबी सहयोगी बने। वहीं 1978 में वे व्योमिंग से सांसद चुने गए और बाद में जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश के अधीन रक्षा सचिव बने, जहां उन्होंने सन 1991 के खाड़ी युद्ध में कुवैत को सद्दाम की सेना से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विवादों का चेहरा: पूछताछ की कठोर नीतियाँ

चेनी ने आतंकवाद के संदिग्धों से पूछताछ के लिए वॉटरबोर्डिंग और नींद से वंचित करने जैसी "उन्नत तकनीकों" का समर्थन किया। इन नीतियों की वजह से उनकी व्यापक आलोचना हुई। अमेरिकी सीनेट की खुफिया समिति और संयुक्त राष्ट्र ने इन तकनीकों को यातना करार दिया। चेनी ने इन आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी थीं। उनकी यह दृढ़ता उनके व्यक्तित्व का हिस्सा थी, जिसने उन्हें देर रात के टीवी शो में "डार्थ वाडर" का उपनाम दिलाया। चेनी ने इस तुलना को हल्के-फुल्के अंदाज में लिया और अपनी आत्मकथा "इन माई टाइम" के प्रचार के लिए "टुनाइट शो" में वाडर की पोशाक भी पहनी।

पारिवारिक रंग: लिज़ और मैरी चेनी

चेनी का निजी जीवन उनकी सियासी छवि को मानवीय बनाता है। उनकी पत्नी लिन चेनी सांस्कृतिक मुद्दों पर रूढ़िवादी आवाज रहीं। उनकी बेटी लिज़ चेनी ने रिपब्लिकन सांसद के रूप में ख्याति प्राप्त की, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप का विरोध और 2021 के कैपिटल हमले के बाद उनके महाभियोग के पक्ष में वोट देने के कारण अपनी सीट गंवा दी। चेनी ने बेटी का समर्थन किया और 2024 में डेमोक्रेट कमला हैरिस को वोट देने की बात कही।

स्वास्थ्य की लड़ाई: हृदय की जंग

37 साल की उम्र में पहला हृदयाघात झेलने वाले चेनी ने बीमारियों से कई बार जंग लड़ी। 2012 में उनका हृदय प्रत्यारोपण हुआ, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति ने उन्हें सत्ता के शीर्ष पर बनाए रखा। उनकी यह जिजीविषा उनके व्यक्तित्व का एक और पहलू थी, जो उन्हें दूसरों से अलग करती थी।

हैलिबर्टन और आर्थिक विवाद

सन 1995 से 2000 तक चेनी ने तेल कंपनी हैलिबर्टन के सीईओ के रूप में काम किया और 35 मिलियन डॉलर का रिटायरमेंट पैकेज लिया। इराक युद्ध में हैलिबर्टन को मिले ठेकों ने उनके तेल उद्योग से संबंधों पर सवाल उठाए। आलोचकों ने इसे हितों के टकराव का मामला बताया, लेकिन चेनी ने इन आरोपों का खंडन किया ।

विरासत: एक जटिल शख्सियत

बहरहाल डिक चेनी की कहानी सत्ता, युद्ध और विवादों की कहानी है। उन्होंने वॉटरगेट कांड से सबक लेते हुए सत्ता को मजबूत किया, वहीं सद्दाम हुसैन के खिलाफ आक्रामक नीतियों का समर्थन किया और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी। उनकी नीतियों ने अमेरिका को एक दशक तक प्रभावित किया, लेकिन उनकी आलोचना भी उतनी ही तीखी रही। उनकी बेटियों लिज़ और मैरी ने उनकी छवि को मानवीय और जटिल बनाया। सन 2011 में उनकी आत्मकथा और 2018 की फिल्म "वाइस" के कारण उनका जीवन दुनिया के सामने आया। चेनी की मृत्यु से एक युग का अंत हो गया, लेकिन उनकी विरासत हमेशा याद रहेगी।