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अगले साल होने 40 देशों के चुनाव तय करेंगे दुनिया का भविष्य

भारत में जो चुनावी मौसम 2023 के अंत में 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों से शुरू हुआ है वह साल 2024 में पूरी दुनिया में दिखने वाला है। अगले साल राष्ट्रीय सरकार चुनने के लिए चुनाव केवल भारत में ही, बल्कि दुनिया के 40 से ज्यादा देशों में होने जा रहे हैं।

Dec 01, 2023 / 12:16 am

Swatantra Jain

Elections in 40 countries next year, will decide the future of World

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भारत में जो चुनावी मौसम 2023 के अंत में 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों से शुरू हुआ है वह साल 2024 में पूरी दुनिया में दिखने वाला है। अगले साल राष्ट्रीय सरकार चुनने के लिए चुनाव केवल भारत में ही, बल्कि दुनिया के 40 से ज्यादा देशों में होने जा रहे हैं। इन देशों में दुनिया के करीब 3.2 अरब से ज्यादा लोग निवास करते हैं। भारत के अलावा 2024 में अमरीका से लेकर रूस, ब्रिटेन, यूरोप के साथ बांग्लादेश तथा पाकिस्तान में भी चुनाव होने वाला है। 2024 का चुनावी मौसम जनवरी में ताइवान से शुरू होगा और साल के अंत में नवंबर में अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव मुख्य रूप से देखने को मिलेंगे। जनवरी के पहले दो सप्ताह में बांग्लादेश और ताइवान के शासनाध्यक्षों के चुनाव देखने को मिलेंगे। विशेष रूप से ताइवान में अगर पूर्वानुमान के अनुसार उपराष्ट्रपति लाई चिंग-ते चुनाव जीतते हैं अमरीका और चीन में तनाव और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
गौर करने की बात ये है कि, इन चुनावों का असर मतदाताओं को रिझाने के रूप में मतदान से काफी पहले दिखना शुरू हो जाएगा। उदाहरण के लिए अमरीका के चुनाव शासक दल और विपक्षी दल को इस बात के लिए प्रेरित करेंगे कि वह चीन के खिलाफ कोई सख्त स्टैंड ले। कोई हैरानी नहीं कि चुनावों के बीच कई देशों में ऐसे नीतियां घोषित की जाएं जिनसे वैश्विक स्तर अनिश्चितता और तनाव में बढ़ोतरी हो।
इंडोनेशिया, वेनेजुएला और मेक्सिको में बदलेगा नेतृत्व
2024 में जिन अन्य देशों में चुनाव हैं, उनमें इंडोनेशिया और वेनेजुएला जैसे संसाधन संपन्न देश हैं, तो आर्थिक-राजनीतिक रूप से अहम माने जाने वाले मेक्सिको और भू-राजनीतिक रूप से बेहद संवदेनशील देश पाकिस्तान भी शामिल है। अरब स्प्रिंग को जन्म देने वाले ट्यूनीशिया में भी अगले साल अक्टूबर के आसपास राष्ट्रपति चुनाव हो सकता है। इसके साथ ही यूरोप में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम और ब्रिटेन समेत कई अन्य यूरोपीय देशों में भी चुनाव देखने को मिलेंगे। मेक्सिको के चुनाव इसलिए भी अहम हैं कि यहां दोनों प्रमुख प्रतिस्पर्धी पार्टियों के राष्ट्रपति पद के दावेदार महिलाएं हैं। वामपंथी क्लाउडिया शाइनबाउम जीतें या फिर उद्योगपति शोशिटेल गैलवेज, ये जीत ऐतिहासिक होगी। इन चुनावों से मेक्सिको को पहली महिला राष्ट्रपति मिल सकती हैं।

10 प्रमुख देशों में चुनावी टाइम लाइन

बांग्लादेश 7 जनवरी
ताइवान 13 जनवरी

इंडोनेशिया 14 फरवरी

ईरान 1 मार्च
रूस 17 मार्च

भारत अप्रैल-मई
दक्षिण अफ्रीका मई-जून
ब्रिटेन मई

यूरोपीय संघ 6 जून
अमरीका 5 नवंबर


वर्ष 2024 के चुनाव देंगे दुनिया को दिशा

कुल वैश्विक हिस्सेदारी
देशों की संख्या 40 21%

आबादी 3.2 अरब 41

जीडीपी 44.2 लाख करोड़ डॉलर 42


रूसः टर्न आउट पर रहेगी नजर
मौजूदा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया अनुमोदन रेटिंग (लगभग 70%) बताती है कि वह बने रहेंगे। वे विशेष रूप से धनी अभिजात वर्ग में अभी भी लोकप्रिय हैं। उनके सबसे बड़े संभावित विरोधियों में से एक एलेक्सी नवलनी फिलहाल कारावास में हैं। लेकिन मतदान यदि रूसी लोग भारी मात्रा में घर पर रहते हैं, तो उनकी जीत की
वैधता पर सवाल खड़े होंगे। पुतिन चाहेंगे कि मार्च से पहले यूक्रेन युद्ध उनकी जीत के साथ समाप्त हो जाए।

मुख्य मुद्दे – यूक्रेन युद्ध और अर्थव्यवस्था


भारतः पीएम मोदी रहेंगे सबसे बड़ा मुद्दा

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के चुनावों पर दुनिया की नजर होगी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत लोकप्रियता उनकी पार्टी की लोकप्रियता से कहीं अधिक है। विपक्ष के लिए भी मुख्य रूप से पीएम मोदी ही मुद्दा रहेंगे। लेकिन देखना होगा कि मोदी के नेतृत्व में
भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार बहुमत से सरकार बना पाएगी। भारत के बिखरे हुए विपक्ष ने 26 दलों का गठबंधन बनाया है इंडिया नाम से बनाया अवश्य है, लेकिन मोदी को टक्कर देने के लिए एकजुट करने वाले नेता का अभाव है।
मुख्य मुद्दे – महंगाई, बेरोजगारी, कश्मीर और रामजन्मभूमि मंदिर

ब्रिटेनः अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने की चुनौती

चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में मौजूदा प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पार्टी विपक्षी लेबर पार्टी से 20 अंकों से पिछड़ रही है। विशेषकर श्रमिक वर्ग लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के कारण तेजी से निराश हो रहा है। लेबर पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनने की ओर अग्रसर दिख रही है, पर इस बात का कोई संकेत नहीं है कि विपक्षी दावेदार सर कीर स्टार्मर मतदाता को आश्वस्त कर सकें कि उनके पास सुनक की कंजरवेटिव पार्टी से बेहतर कोई एजेंडा है।
मुख्य मुद्दे – खस्ताहाल अर्थव्यवस्था और छोटी पार्टियों स्कॉटिश नेशनेलिस्ट पार्टी का प्रदर्शन

यूरोपः अप्रवासी नीतियों से तय होगा जनादेश

यूरोपीय संघ के 27 देशों में मतदाता राष्ट्रीय दलों के प्रतिनिधियों के लिए वोट करेंगे और 700 सांसदों का चुनाव करेंगे। वर्तमान में यह रुझान हैं कि दक्षिण पंथी पार्टियों को बढ़त मिलेगी और आप्रवासन के विरोधी दलों को लाभ होगा।
मुख्य मुद्देः महंगाई, प्रवासियों को लेकर नीतियां, विदेश नीति

अमरीकाः बाइडन का स्वास्थ भी बना मुद्दा
नवंबर में अमरीका के 60वें राष्ट्रपति के लिए होने वाले चुनावों में मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन चुनाव पूर्व अनुमानों में पिछड़ते दिख रहे हैं। बाइडन का स्वास्थ्य भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। कानूनी चुनौतियों से जूझ रहे पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप सर्वेक्षणों में बढ़ते बनाए हुए हैं। विशेष रूस से यूक्रेन और इजरायल को लेकर नीति, गर्भपात के अधिकार, प्रवासियों को लेकर नीति और अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन मुख्य मुद्दा बना हुआ है।
मुख्य मुद्दाः यूक्रेन युद्ध, अर्थव्यवस्था और अप्रवासियों को लेकर नीति

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