
रूस का जंगी विमान एस्टोनिया में घुसने पर यूएन में हुई आपात बैठक। (फोटो: IANS.)
Russia Estonia Airspace Violation: रूस के तीन मिग-31 लड़ाकू विमानों ने 19 सितंबर को बिना अनुमति एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र (Russia Estonia airspace violation) में प्रवेश कर लिया। यह घटना फिनलैंड की खाड़ी के पास हुई। एस्टोनिया के विदेश मंत्रालय के मुताबिक ये विमान करीब 12 मिनट तक वहां रुके रहे। इसके बाद नाटो (NATO response to Russia ) के लड़ाकू विमानों ने उन्हें इंटरसेप्ट कर बाहर निकाला। एस्टोनिया के विदेश मंत्री मार्गस त्सखना (Margas Tskhana) ने इस घटना को रूस की जानबूझ कर की गई उकसावे वाली कार्रवाई बताया है। उन्होंने कहा कि रूस बार-बार हवाई क्षेत्र का उल्लंघन कर रहा है और यह चौथी बार है जब 2025 में रूस ने ऐसा किया है।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में आपातकालीन बैठक की मांग की और 50 से अधिक देशों के साथ मिलकर रूस की इस हरकत की कड़ी निंदा की।
संयुक्त राष्ट्र में एस्टोनिया ने साफ कहा कि रूस की ये हरकतें पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी हैं, क्योंकि यह न सिर्फ एस्टोनिया की संप्रभुता का उल्लंघन है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों को भी तोड़ता है।
एस्टोनिया का कहना है कि रूस पड़ोसी देशों को डराने की कोशिश कर रहा है और यह क्षेत्र को संघर्ष की ओर ले जा सकता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चुप नहीं बैठना चाहिए।
रूस ने इन आरोपों को खारिज किया है। रूसी अधिकारियों का कहना है कि उनके विमान अंतरराष्ट्रीय उड़ान नियमों का पालन कर रहे थे और यह एक सामान्य उड़ान थी। लेकिन एस्टोनिया का दावा है कि इन विमानों का ट्रांसपोंडर बंद था, कोई उड़ान योजना नहीं थी और उन्होंने हवाई कंट्रोल से कोई बात नहीं की — जो कि नियमों का उल्लंघन है।
भारत के लिए इस घटना से कई अहम सबक लिए जा सकते हैं:
सीमा सुरक्षा का महत्व: भारत को भी अपने वायु और जल सीमाओं की निगरानी में चौकस रहना चाहिए, जैसा कि चीन और पाकिस्तान के साथ होता रहा है।
जैसे एस्टोनिया ने UNSC का दरवाजा खटखटाया, वैसे ही भारत को भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी स्थिति मजबूती से रखनी चाहिए।
भारत रूस का रणनीतिक साझेदार है, लेकिन ऐसे मामलों में संतुलन बनाना ज़रूरी है ताकि किसी का पक्ष लिए बिना अपनी सुरक्षा और नीति पर टिके रहें।
भारत को भी अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ मिल कर सुरक्षा पर रणनीति बनानी चाहिए।
बहरहाल रूस और एस्टोनिया की यह घटना सिर्फ दो देशों की तनातनी नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे बड़ी ताकतें छोटे देशों पर दबाव बनाती हैं। ऐसे में भारत जैसे देशों को सतर्क रहना होगा, ताकि भविष्य में कोई देश उनकी संप्रभुता या सुरक्षा के साथ खिलवाड़ न कर सके। यह खबर दुनिया की बदलती सुरक्षा राजनीति का संकेत है,भारत को इससे सजग रहना चाहिए।
एएनआई
Updated on:
22 Sept 2025 09:30 pm
Published on:
22 Sept 2025 09:29 pm
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