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Explainer: AI और सोलर एनर्जी से लैस हज! 2025 की सबसे टेक्नोलॉजिकल तीर्थ यात्रा

Explainer: हज 2025 तकनीक, पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण के लिहाज से ऐतिहासिक बन गया है। इस बार तीर्थयात्रियों को AI संचालित ड्रोन, डिजिटल ID और ‘नुसुक’ ऐप जैसी सुविधाएं मिल रही हैं। पढ़िए चांद मोहम्मद शेख की खास रिपोर्ट...

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हज 2025 (प्रतीकात्मक फोटो)

Hajj 2025: इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हज बुधवार से शुरू हो रहा है। सऊदी अरब में 9 जून तक चलने वाले इस आयोजन में भारत के पौने दो लाख से अधिक मुस्लिम मतावलंबियों सहित दुनियाभर से करीब 18 लाख लोग शिरकत करेंगे। इस साल का हज तकनीक, पर्यावरण और महिलाओं के मामले में कुछ खास हैं। जानते हैं कैसे….

तकनीक से हज कैसे सुविधाजनक?

इस बार हज के दौरान कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संचालित ड्रोन भीड़ नियंत्रण, मेडिकल इमरजेंसी और सुरक्षा निगरानी के लिए गश्त कर रहे हैं। हजयात्री को डिजिटल आईडी कार्ड दिया गया है जो तीर्थयात्रियों को तुरंत ट्रैक कर सकता है। हज मार्गों पर वर्चुअल गाइड्स तीर्थयात्रियों को रास्ता दिखाएंगे। हजयात्रियों के लिए तैयार 'नुसुक ऐप' हर तीर्थयात्री को उसका पर्सनल रूट दिखाता है। यह ऐप वॉकिंग स्टेप्स, डिहाइड्रेशन लेवल तक मॉनिटर करता है।

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कैसे है पर्यावरण के प्रति जागरूक?

मक्का-मदीना में सौर ऊर्जा से चलने वाले विशालकाय कूलिंग टावर और इलेक्ट्रिक मोनोरेल की शुरुआत की गई है, जो हजयात्रियों को मस्जिद-ए-हरम और मिना तक ले जाएगी। हजयात्रियों को हज ग्रीन किट दी गई है जिसमें बायोडिग्रेडेबल तंबू, सौर-संचालित पंखे और पुन: उपयोग योग्य स्टील की बोतलें शामिल हैं। अराफात के मैदान में हजयात्री अपने परिवार के नाम पर पौधे रोप सकेंगे। 10,000 पेड़ों का रोपण कर मक्का और उसके पवित्र स्थलों मिना, मुजदल्फा में हरित बेल्ट विकसित किया गया। मिना और अराफात में कूलिंग सिस्टम लगाए गए। हजयात्री मिना में रुकते हैं। यहां लगाए गए टेंट इको-फ्रेंडली हैं।

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महिलाओं के लिए ऐतिहासिक पहल क्यों?

महिलाएं इस बार बिना पुरुष संरक्षक (महरम) के हज पर जा सकेंगी जिससे महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। भारत से बिना महरम 4,665 महिलाएं हज यात्रा पर जाएंगी जिनमें अकेले केरल से ही करीब 3,000 महिलाएं शामिल हैं। इसमें 45 से 65 वर्ष की महिलाएं समूह में हज यात्रा कर सकती हैं।