
Iran and India
Iran Persian Gulf control : ईरान ( Iran ) ने पर्शियन गल्फ ( Persian Gulf ) क्षेत्र में अपनी सामरिक स्थिति मजबूत करने के लिए एक नई राजधानी बनाने का कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन इस सिलसिले में चर्चा आम है। हालांकि, ईरान लगातार अपनी सैन्य और राजनीतिक ताकत को बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम करता रहता है, जैसे कि मिसाइल और अन्य रक्षा प्रणालियाँ विकसित करना, जिससे पर्शियन गल्फ क्षेत्र में उसका प्रभाव बढ़े। कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि ईरान अपनी नई परियोजनाओं में शहरी विकास और औद्योगिक केंद्रों के निर्माण पर ध्यान दे रहा है, जो उसकी आंतरिक शक्ति बढ़ा सकते हैं। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि यह पर्शियन गल्फ के नियंत्रण के संदर्भ में कितना सीधे तौर पर लागू होता है।
जानकारों का कहना है कि ईरान पर्शियन गल्फ (Persian Gulf) में अपनी रणनीतिक और राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कई प्रयासों में शामिल है। पर्शियन गल्फ दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक है, जो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति, विशेष रूप से तेल और गैस के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में ईरान का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक प्रभाव है, और ईरान इसके रणनीतिक नियंत्रण को महत्वपूर्ण मानता है।
जानकारों के अनुसार ईरान के लिए पर्शियन गल्फ से गुजरने वाले तेल और गैस के शिपमेंट वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति का एक प्रमुख हिस्सा हैं। ईरान इस क्षेत्र में अपने नियंत्रण बनाए रखना चाहता है ताकि वह अपनी ऊर्जा अर्थव्यवस्था लाभ पहुंचा सके और वैश्विक ऊर्जा बाजारों में अपनी भूमिका मजबूत कर सके। पर्शियन गल्फ में रणनीतिक स्थानों पर सैन्य आधार स्थापित करना, जैसे कि होर्मुज जलसंधि (Strait of Hormuz), ईरान के लिए सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। होर्मुज जलसंधि, पर्शियन गल्फ को अरब समुद्र से जोड़ता है, वैश्विक तेल व्यापार का एक प्रमुख मार्ग है और ईरान का इसमें प्रभाव है। यदि ईरान इसे नियंत्रित करता है, तो वह इस मार्ग पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
ईरान क्षेत्र में अपनी शक्ति बढ़ाना चाहता है, खासकर ग़ल्फ देशों जैसे कतर, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), और सऊदी अरब के साथ ताकत बढाना चाहता है । ईरान इन देशों के साथ अपनी राजनीतिक और सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ अपनाता है, और पर्शियन गल्फ क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए वह सैन्य अभ्यासों और साझेदारियों का सहारा लेता है। इस क्षेत्र में ईरान के प्रयासों को अक्सर अन्य ग़ल्फ देशों, विशेष रूप से सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, से विरोध का सामना करना पड़ता है, क्योंकि ये देश ईरान के बढ़ते प्रभाव को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं। इसलिए, पर्शियन गल्फ में ईरान का उद्देश्य न केवल आर्थिक और सैन्य प्रभुत्व स्थापित करना है, बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अपनी भूमिका भी बढ़ाना चाहता है।
रणनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान अपनी नई राजधानी बनाता है, तो भारत को कुछ संभावित लाभ हो सकते हैं, हालांकि ये लाभ इस पर निर्भर करेंगे कि ईरान के नए कदम से क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिति में क्या बदलाव आता है। यहाँ कुछ संभावित लाभ दिए गए हैं। यदि ईरान एक नई राजधानी बनाकर अपने प्रशासनिक और व्यावसायिक केंद्र को मजबूत करता है, तो इससे भारत और ईरान के बीच व्यापारिक संबंधों में वृद्धि हो सकती है। भारत के लिए ईरान एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझीदार है, और इस नए विकास से दोनों देशों के बीच बेहतर व्यापारिक अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
अगर ईरान अपनी नई राजधानी बनाता है और इसके साथ नीतियों में बदलाव करता है, तो भारत को कई संभावित लाभ हो सकते हैं। ईरान और ईरान और रूस के बीच ऊर्जा, निर्माण, और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भारत के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हो सकते हैं। ईरान के साथ मजबूत रिश्ते भारत के लिए मध्य एशिया और खाड़ी देशों में विशेषकर चीन के साथ रणनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकते हैं। ईरान की नई राजधानी और सामरिक योजनाओं के परिणाम भारत के लिए सकारात्मक हो सकते हैं, लेकिन यह इस पर निर्भर करेगा कि इन योजनाओं का कार्यान्वयन कैसे हो।
राजनयिक मामलों के जानकारों का कहना है कि अगर ईरान अपनी नई राजधानी के निर्माण के लिए अवसंरचनात्मक परियोजनाएँ शुरू करता है, तो भारत की निर्माण कंपनियां और इंजीनियरिंग कंपनियाँ इन परियोजनाओं में भाग लेकर लाभ उठा सकती हैं। भारतीय कंपनियाँ पहले से ही ईरान में निवेश कर रही हैं और इसके जरिए अतिरिक्त परियोजनाओं में भागीदारी कर सकती हैं। ईरान का राजनीतिक और आर्थिक विकास भारत के लिए भू राजनीतिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद हो सकता है।
जानकारों के अनुसार ईरान के साथ मजबूत रिश्ते भारत के लिए मध्य एशिया और खाड़ी देशों खासकर चीन और पाकिस्तान जैसी शक्तियों के मुकाबले रणनीतिक लाभ ला सकते हैं। ईरान से भारत को तेल और गैस की आपूर्ति होती है। अगर ईरान अपनी नई राजधानी बनाता है और इसका परिणाम ईरान की ऊर्जा नीतियों में सुधार होता है, तो भारत को इस क्षेत्र से ऊर्जा आपूर्ति में स्थिरता और लाभ मिल सकता है। बहरहाल यह स्पष्ट नहीं है कि एक नई राजधानी ईरान के लिए सीधे तौर पर क्या परिणाम लाएगी, फिर भी इसके रणनीतिक, वाणिज्यिक और भू राजनीतिक प्रभाव भारत के लिए सकारात्मक हो सकते हैं।
ईरान में भारतीयों की संख्या निश्चित रूप से निर्धारित करना कठिन है क्योंकि यह आंकड़ा समय-समय पर बदलता रहता है, लेकिन अनुमानित तौर पर ईरान में भारतीयों की संख्या लगभग 10,000 से 20,000 के बीच हो सकती है। इनमें से कई भारतीय व्यापारी, कर्मचारी, छात्र और कुछ धार्मिक कारणों से वहां निवास करते हैं। ईरान में भारतीय समुदाय मुख्य रूप से तेहरान और अन्य बड़े शहरों में रहता है। भारतीयों का एक पुराना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध भी ईरान के साथ रहा है।
Updated on:
27 Oct 2025 12:18 pm
Published on:
15 Jan 2025 05:11 pm
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