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ग़ाज़ा में सीज़फ़ायर का टूटा भ्रम: इज़राइल के 282 उल्लंघन, तारीख़वार हमलों ने 242 ज़िंदगियां छीनीं–ट्रंप के प्लान का काला सच

Gaza Ceasefire Violations 2025: ट्रंप की मध्यस्थता से 10 अक्टूबर 2025 को शुरू ​हुए गाजा सीजफायर के बाद इजराइल ने 282 उल्लंघन किए, हवाई हमलों से 242 फिलिस्तीनी मारे गए, सहायता रोक दी गई।

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भारत

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MI Zahir

Nov 16, 2025

Gaza Ceasefire Breaking

गाजा में जंगबंदी के बाद भी हमला होने से मातम पसरा। ( फाइल फोटो: वाशिंगटन पोस्ट.)

Gaza Ceasefire Violations 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Trump Truce Violations) की पहल पर इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच हुए सीजफायर (Gaza Ceasefire 2025) की धज्जियां बिखर गई हैं। यानि ग़ाज़ा पट्टी में शांति का सपना टूट चुका है। ट्रंप के बीच-बचाव से 10 अक्टूबर 2025 को इज़राइल और हमास के बीच सीज़फायर लागू हुआ था। लेकिन यह महज कागजी था। इज़राइल ने 'हमास खतरा' का बहाना बना कर हमलों का सिलसिला जारी ( Israel Gaza Strikes) रखा। ग़ाज़ा मीडिया कार्यालय के आंकड़ों से पता चलता है कि एक महीने के दौरान 282 उल्लंघन हुए – हवाई बमबारी, तोपों की गोलियां और सीधी फायरिंग जारी रही। नतीजा? 242 फिलिस्तीनी मारे गए, 622 घायल हुए, जिनमें ज्यादातर बच्चे और महिलाएं शामिल थे। संयुक्त राष्ट्र ने इसे समझौते का साफ उल्लंघन बताया, लेकिन इज़राइल इसे 'आत्मरक्षा' कह रहा है। ग़ाज़ा के लोग भूखे-प्यासे तंबुओं में सड़क पर हैं, जबकि सहायता के ट्रक सीमा पर अटके हुए हैं।

पूरे ग़ाज़ा पर भारी हवाई हमले किए

पहला बड़ा झटका 19 अक्टूबर को लगा। राफाह इलाके में इज़राइली सैनिकों पर हमला हुआ, दो सिपाही मारे गए। इज़राइल ने इसे हमास का काम बताया और पूरे ग़ाज़ा पर भारी हवाई हमले किए। राफाह और खान यूनिस में धमाके हुए, 26 से 44 लोग मारे गए। परिवार टूटे, घर उजड़ गए। इज़राइल ने सहायता रोक दी, लेकिन दबाव में वापस शुरू भी की। हमास ने हमले से इनकार किया, कहा 'हम सीज़फ़ायर का पालन कर रहे है'। इसके बावजूद अमेरिका ने हमास को दोषी ठहराया, लेकिन ग़ाज़ा स्वास्थ्य विभाग ने 44 मौतों की पुष्टि की। यह घटना बताती है कि ट्रूस कितना नाजुक था।

हमास ने इसे 'स्पष्ट उल्लंघन' कहा

फिर 28-29 अक्टूबर को एक और तूफान आया। इज़राइल ने हमास पर 'बंधकों के शवों को गलत सौंपने' का आरोप लगाया। रात भर हवाई हमले चले, देइर अल-बलाह में विस्थापितों के तंबू, घर और अस्पताल के पास के इलाके हमले का निशाना बने। इस हमले में 104 लोग मारे गए, जिनमें 46 बच्चे और 20 महिलाएं शामिल थीं। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा, 'हमास ने तोड़ा, इसलिए सख्ती जरूरी है'। हमास ने इसे 'स्पष्ट उल्लंघन' कहा। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुटेरेस ने नागरिक मौतों की निंदा की। हमास ने 24 बंधकों के शव दिए, लेकिन चार बाकी हैं। ग़ाज़ा सिविल डिफेंस ने इसे 'भयानक नरसंहार' बताया।

इज़राइल ने 1500 से ज्यादा इमारतें नेस्तनाबूद कीं

उसके बाद नवंबर में हालात और बिगड़े, 11 नवंबर को सैटेलाइट तस्वीरों से यह तथ्य साफ हुआ कि इज़राइल ने 1500 से ज्यादा इमारतें नेस्तनाबूद कीं। राफाह, ग़ाज़ा सिटी के शेजिया और जबालिया कैम्प पर बम गिरे। इज़राइल ने इसे 'आतंकी ढांचा' साफ करने का नाम दिया, जो सीज़फायर के 13वें बिंदु के तहत जायज़ करार दिया गया। लेकिन विशेषज्ञों ने कहा, यह ट्रंप के 20-सूत्री प्लान का उल्लंघन है। ग़ाज़ा मीडिया ने 80 उल्लंघनों का जिक्र किया, जिसमें 97 मौतें बताई गईं। विश्व खाद्य कार्यक्रम के मुताबिक वहां सहायता का आधा हिस्सा ही पहुंचा।

तंबू शहर डूब गए, लेकिन इज़राइल ने तिरपाल और तंबू आने नहीं दिए

मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं। 15 नवंबर को बारिश ने मुसीबत दुगुनी कर दी। तंबू शहर डूब गए, लेकिन इज़राइल ने तिरपाल और तंबू आने नहीं दिए। अल जजीरा के अनुसार, ड्रोन हमले में दो जने मारे गए। हमास ने सीज़फ़ायर का का 'रोज़ाना उल्लंघन' होने की शिकायत की। संयुक्त राष्ट्र डैशबोर्ड से पता चला, 3451 ट्रक ही ग़ाज़ा पहुंचे, जबकि जरूरी 4 गुना ज्यादा। राफाह सुरंगों में फंसे 200 हमास लड़ाकों पर इज़राइल ने फ़ायरिंग की, IDF ने इसे 'समझौते के अनुरूप' कहा। कुल मिलाकर, 10 अक्टूबर से 10 नवंबर तक हवाई, तोप और गोलीबारी के 282 मामले सामने आए।

ट्रंप प्रशासन इज़राइल का साथ दे रहा है

बहरहाल ये घटनाएं गाजा को बर्बाद कर रही हैं। हमास ने 20 जिंदा बंधकों को रिहा किया, बदले में 250 फिलिस्तीनी कैदी रिहा हुए। लेकिन शवों का आदान-प्रदान रुक गया। विशेषज्ञों का कहना है, 'यह साफ तौर पर सीज़फ़ायर का उल्लंघन है'। यह भी साफ दिख रहा है कि ट्रंप प्रशासन इज़राइल का साथ दे रहा है, लेकिन कतर-मिस्र मध्यस्थ बन गए। दुनिया में सियोल से ओमान तक विरोध हो रहा है। गाजा में भुखमरी फैल गई है, हजारों लोग ठंड से कांप रहे हैं और झूठे सीज़फ़ायर की लोरियां गाई जा रही हैं। मानवाधिकार संगठन कह रहे हैं कि संयुक्त राष्ट्र को अब कदम उठाना चाहिए। आखिर शांति का नाम पर यह खूनी खेल कब तक चलेगा ?