
Philipp Ackermann (Photo - ANI)
अमेरिका (United States Of America) ने हाल ही में विदेशी कामगारों पर सख्ती तेज़ करते हुए एच-1बी वीज़ा की फीस को बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर्स प्रति आवेदन कर दिया है। पहले यह फीस करीब 5,000 डॉलर्स थी। इसका असर सबसे ज़्यादा भारतीयों पर पड़ेगा, क्योंकि बड़ी संख्या में हर साल भारतीय पेशेवरों को एच-1बी वीज़ा मिलता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के इस फैसले का असर अमेरिकी टेक कंपनियों पर भी पड़ेगा और ऐसे में एक बार फिर ट्रंप अपने इस फैसले पर अपने ही देश में घिर गए हैं। हालांकि इन सबके बीच अब एक देश, भारतीय पेशेवरों के स्वागत के लिए तैयार है।
ट्रंप के फैसले के बाद जर्मनी ने भारतीय पेशेवरों का खुले दिल से स्वागत करने का ऐलान किया है। भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन (Philipp Ackermann) ने भारतीय पेशेवरों को सीधा संदेश दिया है कि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था स्थिर और भरोसेमंद प्रवासी नीति के साथ शानदार करियर अवसर प्रदान करती है। एकरमैन ने हाल ही में सोशल मीडिया पर भारतीयों से अपील करते हुए कहा, "मेरी अपील है कि सभी उच्च कौशल वाले भारतीय जर्मनी आएं। आइटी, प्रबंधन, विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत से आने वाले लोगों के लिए जर्मनी में अपार संभावनाएं हैं। जर्मनी में काम करने वाले भारतीय औसतन स्थानीय नागरिकों से ज़्यादा कमाते हैं। इसका मतलब है कि भारतीय हमारी अर्थव्यवस्था में ज़्यादा योगदान देते हैं। हम मेहनत पर विश्वास करते हैं और सर्वश्रेष्ठ नौकरियाँ उन्हीं को देते हैं जो उसके हकदार हैं।"
जर्मनी की प्रवासी नीति के बारे में भी एकरमैन ने बात की। उन्होंने कहा, "जर्मनी में रातों-रात नियम नहीं बदलते हैं। हमारी प्रवासी नीति जर्मन कार की तरह काम करती है। यह भरोसेमंद और आधुनिक है।"
Published on:
25 Sept 2025 12:28 pm
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