
पूरी दुनिया में अब तक कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 27.28 करोड़ हो गए हैं। इस महामारी से अब तक कुल 53.3 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है जबकि 8.58 अरब से ज्यादा का वैक्सीनेशन हुआ है। ये आंकड़े जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने साझा किए हैं। शुक्रवार की सुबह अपने नए अपडेट में यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसएसई) ने बताया कि वर्तमान में वैश्विक मामले, मरने वालों और टीकाकरण की कुल संख्या क्रमश: बढ़कर 272,860,151, 5,335,758 और 8,588,471,010 हो गई है। सीएसएसई के अनुसार, दुनिया के सबसे ज्यादा मामलों और मौतों क्रमश: 50,511,161 और 803,633 के साथ अमरीका सबसे ज्यादा प्रभावित देश बना हुआ है। कोरोना मामलों में भारत दूसरा सबसे प्रभावित देश हैं, जहां कोरोना के 34,718,602 मामले हैं जबकि 476,478 लोगों की मौत हुई है, इसके बाद ब्राजील में कोरोना के 22,201,221 मामले हैं जबकि 617,271 लोगों की मौत हुई हैं।
सीएसएसई के आंकड़ों के अनुसार, 50 लाख से ज्यादा मामलों वाले अन्य सबसे प्रभावित देश यूके (11,161,236), रूस (9,955,308), तुर्की (9,102,294), फ्रांस (8,564,979), जर्मनी (6,709,228), ईरान (6,165,454), स्पेन (5,422,168), अर्जेटीना (5,376,642), इटली (5,308,180) और कोलंबिया (5,101,466) हैं।
जिन देशों ने 100,000 से ज्यादा लोगों की मौतों का आंकड़ा पार किया है, उनमें मेक्सिको (297,188), रूस (288,240), पेरू (201,992), यूके (147,395), इंडोनेशिया (143,979), इटली (135,301), ईरान (130,946), कोलंबिया (129,295), फ्रांस (122,156), अर्जेटीना (116,874) और जर्मनी (107,368) शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र अनाज और कृषि संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने 15 दिसम्बर को संयुक्त रूप से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव से एशिया प्रशांत क्षेत्र में खाद्यान्न सुरक्षा और पोषण स्थिति दिन ब दिन गंभीर हो रही है। 2020 में 37.5 करोड़ लोगों को भूख का सामना करना पड़ा, जिसमें 2019 की तुलना में करीब 5.4 करोड़ की बढ़ोतरी आयी है।
रिपोर्ट के मुताबिक स्वस्थ खान-पान के बढ़े खर्च, गरीबी और आमदनी में असमानता आदि वजहों से एशिया प्रशांत क्षेत्र में 1.8 अरब लोगों को स्वस्थ खाना नहीं मिल सका। और बेहतर अनाज वातावरण के पुन:निर्माण की प्रक्रिया में भविष्य में कृषि और अनाज व्यवस्था को और बेहतर उत्पादन, पोषण, वातावरण और जीवन प्रदान करने की जरूरत है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार ओमिक्रॉन उस दर से फैल रहा है, जो किसी भी पिछले वैरिएंट के साथ नहीं देखा गया है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडनॉम घेबियस ने ओमिक्रॉन को कम करके आंकने के खिलाफ चेताया है। उन्होंने सावधान होने की अपील करते हुए कहा, हम चिंतित हैं कि लोग ओमिक्रॉन को हल्के में लेते हुए खारिज कर रहे हैं।
Published on:
17 Dec 2021 06:29 pm
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