22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Global water cycle change: मनुष्यों ने पृथ्वी के मीठे पानी के चक्र को स्थिर स्थिति से बाहर कर दिया

Global water cycle changes: शोधकर्ताओं ने कहा कि यह पहली बार है कि वैश्विक जल चक्र परिवर्तन का उचित संदर्भ आधार रेखा के साथ इतने लंबे समय में मूल्यांकन किया गया है। उन्होंने कहा कि बांध निर्माण, बड़े पैमाने पर सिंचाई और ग्लोबल वार्मिंग जैसे मानवीय दबावों ने मीठे पानी के संसाधनों को बदल दिया है।

less than 1 minute read
Google source verification
Global water cycle changes

मानव गतिविधि ने पृथ्वी के मीठे पानी के संसाधनों को औद्योगीकरण से पहले की स्थिर स्थितियों से कहीं आगे बढ़ा दिया है।

Global water cycle changes: मानव गतिविधि ने पृथ्वी के मीठे पानी के संसाधनों को औद्योगीकरण से पहले की स्थिर स्थितियों से कहीं आगे बढ़ा दिया है। नेचर वॉटर पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि मीठे पानी में परिवर्तन के लिए अद्यतन ग्रहीय सीमा बीसवीं सदी के मध्य तक पार हो गई थी। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह पहली बार है कि वैश्विक जल चक्र परिवर्तन का उचित संदर्भ आधार रेखा के साथ इतने लंबे समय में मूल्यांकन किया गया है। उन्होंने कहा कि बांध निर्माण, बड़े पैमाने पर सिंचाई और ग्लोबल वार्मिंग जैसे मानवीय दबावों ने मीठे पानी के संसाधनों को इस हद तक बदल दिया है कि महत्वपूर्ण पारिस्थितिक और जलवायु प्रक्रियाओं को विनियमित करने की उनकी क्षमता खतरे में है।

शोधकर्ताओं ने की ये गणना

अंतर्राष्ट्रीय टीम ने हाइड्रोलॉजिकल मॉडल के डेटा का उपयोग करके लगभग 50x50 किलोमीटर के स्थानिक रिज़ॉल्यूशन पर मासिक धारा प्रवाह और मिट्टी की नमी की गणना की, जो मीठे पानी के चक्र पर सभी प्रमुख मानव प्रभावों को जोड़ती है। शोधकर्ताओं ने पूर्व-औद्योगिक काल (1661-1860) के दौरान की स्थितियों का निर्धारण किया। फिर उन्होंने इस आधार रेखा के विरुद्ध औद्योगिक अवधि (1861-2005) की तुलना की। विश्लेषण में धारा प्रवाह और मिट्टी की नमी में विचलन असाधारण रूप से शुष्क या गीली स्थितियों की आवृत्ति में वृद्धि देखी गई।

ये भी पढ़ें: Lok sabha elections 2024: बेरोजगार युवाओं पर कांग्रेस की नजर, चुनावी घोषणापत्र में रोजगार का अधिकर देने का वादा