
मानव गतिविधि ने पृथ्वी के मीठे पानी के संसाधनों को औद्योगीकरण से पहले की स्थिर स्थितियों से कहीं आगे बढ़ा दिया है।
Global water cycle changes: मानव गतिविधि ने पृथ्वी के मीठे पानी के संसाधनों को औद्योगीकरण से पहले की स्थिर स्थितियों से कहीं आगे बढ़ा दिया है। नेचर वॉटर पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि मीठे पानी में परिवर्तन के लिए अद्यतन ग्रहीय सीमा बीसवीं सदी के मध्य तक पार हो गई थी। शोधकर्ताओं ने कहा कि यह पहली बार है कि वैश्विक जल चक्र परिवर्तन का उचित संदर्भ आधार रेखा के साथ इतने लंबे समय में मूल्यांकन किया गया है। उन्होंने कहा कि बांध निर्माण, बड़े पैमाने पर सिंचाई और ग्लोबल वार्मिंग जैसे मानवीय दबावों ने मीठे पानी के संसाधनों को इस हद तक बदल दिया है कि महत्वपूर्ण पारिस्थितिक और जलवायु प्रक्रियाओं को विनियमित करने की उनकी क्षमता खतरे में है।
शोधकर्ताओं ने की ये गणना
अंतर्राष्ट्रीय टीम ने हाइड्रोलॉजिकल मॉडल के डेटा का उपयोग करके लगभग 50x50 किलोमीटर के स्थानिक रिज़ॉल्यूशन पर मासिक धारा प्रवाह और मिट्टी की नमी की गणना की, जो मीठे पानी के चक्र पर सभी प्रमुख मानव प्रभावों को जोड़ती है। शोधकर्ताओं ने पूर्व-औद्योगिक काल (1661-1860) के दौरान की स्थितियों का निर्धारण किया। फिर उन्होंने इस आधार रेखा के विरुद्ध औद्योगिक अवधि (1861-2005) की तुलना की। विश्लेषण में धारा प्रवाह और मिट्टी की नमी में विचलन असाधारण रूप से शुष्क या गीली स्थितियों की आवृत्ति में वृद्धि देखी गई।
Updated on:
06 Mar 2024 09:45 am
Published on:
06 Mar 2024 09:10 am
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