दरअसल, पीएम मोदी आज यानी रविवार को टेक्सास के ह्यूस्टन शहर में 50,000 भारतीय-अमरीकियों को संबोधित करेंगे।
सबसे खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में अमरीकी राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रंप भी मौजूद रहेंगे।
‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम जहां भारत—अमरीकी संबंधों के लिए काफी अहम माना जा रहा है, वहीं अमरीका में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से भी यह काफी महत्वपूर्ण है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2016 में राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय-अमेरिकियों ने डोनाल्ड ट्रंप को नहीं वोट दिया था।
ऐसे में ट्रंप का पूरा फोकस इस वोट बैंक पर होगा।
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भारतीय अमेरिकियों की आबादी
अमरीकल कम्युनिटी सर्वे 2017 की रिपोर्ट के अनुसार अमरीका में इस समय लगभग 40 लाख भारतीय-अमरीकी रहते हैं। जिनमें से 15 लाख के आसपास तो वोटर्स ही हैं।
आबादी के हिसाब से भी अमरीका में इसका 1.3 प्रतिशत तक हिस्सा है।
इसके साथ ही अमरीका के 50 में 16 तो ऐसे राज्य हैं, जहां भारतीय अमरीकियों की आबादी एक प्रतिशत से ज्यादा थी।
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अमरीका में भारतीय आबादी की एक रिपोर्ट के अनुसार—
कैलिफोर्निया में (7.3 लाख) भारतीय
न्यूयॉर्क में (3.7 लाख) भारतीय
न्यू जर्सी (3.7 लाख) भारतीय
टेक्सास (3.5 लाख) भारतीय
इलेनॉइस (2.3 लाख) भारतीय
फ्लोरिडा (1.5 लाख) भारतीय
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अधिकांश भारतीय-अमेरिकी डेमोक्रैट शासित राज्यों में
रिपोर्ट के अनुसार अमरीका के जिन 16 राज्यों में भारतीय अमरीकियों की संख्या 1 प्रतिशत से ज्यादा थी। वहां डेमोक्रैट का प्रभाव माना जाता है।
इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में इन 16 में 10 राज्यों के नागरिकों ने डोनाल्ड ट्रंप की विरोधी हिलेरी क्लिंटन को वोट दिया था।
हालांकि शेष 6 राज्यों ने डोनाल्ड ट्रंप को चुना।
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हिलेरी क्लिंटन के पक्ष में रहे 57.6 फीसद भारतीय
एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अमरीका में 57.6 फीसद भारतीयों ने डेमोक्रैटिक पार्टी की हिलेरी क्लिंटन को वोट दिया। जबकि केवल 29 प्रतिशत लोगों ने ट्रंप को राष्ट्रपति पद के लिए अपना पंसदीदा उम्मीदवार चुना।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो नीलांजन सरकार की मानें तो भारतीय-अमरीकी मतदाताओं ने अधिकांशत अपना समर्थन डेमोक्रैट पार्टी को देते हैं। नीलांजन के अनुसार ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में ट्रंप और मोदी की मौजूदी भारतीय-अमरीकियों के इस झुकाव को बदल सकती है।
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ऐसे बदल सकता है चुनावी गणित
विशेषज्ञों की मानें तो अमरीका में मोदी और ट्रंप की यह मुलाकात वहां भारतीय मतदाताओं की सोच में बदलाव ला सकती है।
दरअसल, ऐसा 2015 के चुनाव में ब्रिटेन में उस समय हुआ था जब कैमरून चुनाव जीत गए थे। असल में यहां लेबर पार्टी को भारतीयों को समर्थन प्राप्त था।
इसमें भी खासतौर पर गुजराती एनआरआई की संख्या सबसे अधिक थी। लेबर पार्टी लंबे समय तक इसका फायदा उठाती रही।
लेकिन वेम्ब्ले में मोदी व कैमरून की मुलाकात ने पूरी चुनावी हवा बदल दी। इसका असर यह हुआ कि भारतीय ब्रिटिश वोट बैंक को टोरी के पाले में आ गया।